न्यूयार्क: यूं तो मुंह और मसूड़े के रोग कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनते हैं, लेकिन मसूड़े के रोग के लिए जिम्मेदार एक खास तरह के बेक्टीरिया की प्रजाति इसोफैगल (घेघा) कैंसर का भी कारण हो सकता है। एक नए शोध में यह पता चली है। इसोफैगल (घेघा) एक पेशी ट्यूब है जो मुंह से पेट तक भोजन की आवाजाही के लिए महत्वपूर्ण है। इसमें होने वाला कैंसर इसोफैगल कैंसर कहलाता है।
इस शोध के निष्कर्षों से पता चला है कि पोरफाइरोमोनास जिंजीवल बेक्टीरिया इसोफैगल स्क्वामस सेल कार्सीनोमा (ईएससीसी) रोग से पीड़ित 61 प्रतिशत लोगों में मौजूद होता है।
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ लुइसविले स्कूल ऑफ डेंटिस्ट्री से हुजी वैंग ने बताया कि, "इन निष्कर्षों ने पहला डायरेक्ट सबूत दिया है, जो यह बताता है कि पी. जिंजीवल संक्रमण ईएससीसी के लिए एक नया रिस्क कारक हो सकता है। साथ ही यह इस प्रकार के कैंसर के लिए एक डाइअग्नास्टिक बायोमार्कर के रूप में भी काम कर सकता है।"
वैंग का कहना है, "इस तरह के रोग से बचने के लिए मुंह की स्वच्छता में सुधार जरूरी है, जिससे ईएससीसी के खतरे को कम किया जा सकता है।"
यह निष्कर्ष शोध पत्रिका 'इंफेक्शियस एंजेट्स एंड कैंसर' में प्रकाशित हुए हैं।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)