बाहरी देशों के मुकाबले भारत में कम है ब्रेस्ट कैंसर के केस, लेकिन मौत के मामले ज्यादा

बाहरी देशों के मुकाबले भारत में कम है ब्रेस्ट कैंसर के केस, लेकिन मौत के मामले ज्यादा

खास बातें

  • बाहरी देशों के मुकाबले इंडिया में कम है ब्रेस्ट कैंसर के मामले
  • यह महीना अंतरराष्ट्रीय स्तन कैंसर जागरूकता माह के रूप में मानाया जाता है
  • कम उम्र की महिलाएं सबसे ज्यादा शिकार बन रही हैं

दुनियाभर में स्तन कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, भारत भी इससे अछूता नहीं है। लेकिन हैरान करने वाले तथ्य की ओर ध्यान खींचते हुए विशेषज्ञ बताते हैं कि भारत में सामने आने वाले स्तन कैंसर के मामले पश्चिमी देशों के मुकाबले कम हैं लेकिन यहां इस रोग के कारण होने वाली मौतों के मामले तुलनात्मक रूप से ज्यादा हैं।

मुंबई के कंसल्टेंट सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. सुमित शाह बताते हैं, ‘‘पश्चिमी देशों के मुकाबले भारत में स्तन कैंसर के मामले कम हैं लेकिन तुलनात्मक रूप से इसके कारण होने वाली मौत का आंकड़ा ज्यादा है।’’ वह इसकी वजह जागरूकता की कमी बताते हैं।

अक्तूबर महीने को अंतरराष्ट्रीय स्तन कैंसर जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है।

भारत में स्तन कैंसर की सबसे ज्यादा शिकार कम उम्र की महिलाएं बन रही हैं। यह भारतीय महिलाओं में सबसे तेजी से फैलने वाला कैंसर भी है।

डॉ. सुमित शाह के मुताबिक, ‘‘बीते आठ से दस साल में स्तन कैंसर के मामलों में कई नए पैटर्न देखने को मिले हैं। पहले स्तन कैंसर के ज्यादातर मरीजों की उम्र पचास साल से अधिक होती थी जबकि आज अधिकतर मरीज 25-50 साल के हैं।’’ राजीव गांधी कैंसर संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र, दिल्ली में कंसल्टेंट ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. अजय शर्मा भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं। उनके अनुसार, ‘‘इसमें कोई शक नहीं कि पश्चिमी देशों के मुकाबले भारत में स्तन कैंसर के कारण ज्यादा मौंते होती हैं और इसकी वजह भारत के लोगों में इस रोग को लेकर जागरूकता की कमी है।’’
 
साल 2015 में जारी शोध ‘ग्लोबल बर्डन ऑफ कैंसर 2013’ के मुताबिक पूरे विश्व में महिलाओं में अन्य प्रकार के कैंसरों के मुकाबले स्तन कैंसर कहीं ज्यादा तेजी से फैल रहा है। इस शोध के मुताबिक साल 2013 में दुनियाभर में महिलाओं में स्तन कैंसर के 18 लाख नए मामले सामने आए थे, यह किसी भी अन्य प्रकार के कैंसर के नए मामलों के मुकाबले काफी ज्यादा है।
 
ये हैं कारण
डॉ शर्मा ने कहा, ‘‘कम उम्र की महिलाओं को होने वाला कैंसर ज्यादा आक्रामक होता है।’’ कैंसर विशेषज्ञों के मुताबिक पहला गर्भधारण अधिक उम्र में करना, जीवनशैली में आ रहे बदलाव और असंतुलित खानपान इसकी वजह हो सकते हैं।” वहीं, डॉ. सुमित शाह का कहना है कि स्तन में किसी भी गांठ या उसमें किसी भी परिवर्तन की ओर तुरंत ध्यान दिया जाना चाहिए। इसे लेकर महिलाओं में जागरूकता की कमी है और जब तक इसका पता चलता है तब तक कैंसर घातक रूप ले लेता है। दूसरी वजह पीड़ितों के इलाज के लिए लंबे समय तक वैकल्पिक उपायों पर निर्भर रहना है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की साल 2014 में जारी की गई कैंसर कंट्री प्रोफाइल देखने पर पता चलता है कि भारत में स्तन कैंसर कितनी तेजी से फैल रहा है। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में महिलाओं में कैंसर के कारण होने वाली कुल मौतों में सबसे ज्यादा 21 फीसदी मौतें स्तन कैंसर के कारण होती हैं।

जानें उपाय
स्तन कैंसर से बचाव के कुछ उपाय सुझाते हुए नोएडा के फोर्टिस अस्पताल में रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. गगन सैनी ने कहा, ‘‘सही उम्र में मां बनना और एक या एक साल से अधिक समय तक बच्चे को स्तनपान करवाना स्तन कैंसर से बचाव के प्राकृतिक उपाय हैं।’’ उन्होंने बताया कि पहली बार मां बनते वक्त जिन महिलाओं की उम्र 30 साल से कम होती है उन्हें स्तन कैंसर का खतरा भी कम होता है।

कैंसर से निपटने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहली बार कैंसर पर संयुक्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इनके तहत 30 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए कैंसर की स्क्रीनिंग को जरूरी बताया गया है। दिशा-निर्देशों में सबसे ज्यादा ध्यान मुख, सर्वाइकल और स्तन कैंसर पर दिया गया है क्योंकि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारत में सबसे ज्यादा संख्या में मरीज इन्हीं प्रकार के कैंसर के होते हैं।

डॉ. शर्मा कहते हैं कि परिवार में स्तन कैंसर का इतिहास होने पर तीस साल की उम्र के बाद सालाना चिकित्सीय जांच जरूर करवानी चाहिए।
 
 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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