मॉनसून के मौसम में बच्चों का रखें खास ख्याल, उन्हें दें डी-वार्मिंग गोलियां

मॉनसून के मौसम में बच्चों का रखें खास ख्याल, उन्हें दें डी-वार्मिंग गोलियां

मॉनसून का सीज़न मतलब बीमारियों का सीज़न। बारिश के मौसम में जमीन में रहने वाले ज़्यादातर कीड़े सतह पर आ जाते हैं, जो फल, सब्जियों और खाद्य पदार्थों को दूषित करते हैं। बारिश के दिनों में सबसे ज़्यादा डर इंफेक्शन का होता है। फिर चाहे वे बड़े हो या बच्चे, सभी को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत होती है।

साफ पानी से धोएं खाद्य पदार्थ
बारिश की वजह से होने वाली नमी में मक्खियां-मच्छर पनपते हैं। आईएमए के मानद महासचिव डॉ. अग्रवाल ने बताया कि यह इसलिए जरूरी है कि सभी फल और सब्जियां साफ पानी से अच्छे से धोए जाएं और अगर जरूरत हो तो बीमारी से बचने के लिए पोटैशियम परमेंगनेट का प्रयोग किया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि गोल कीड़े अक्सर जमीन में मौजूद होते हैं। उनके मल से होने वाले प्रदूषण से बचने के लिए बेहतर साफ सफाई की बेहद आवश्यकता होती है, जो कि मॉनसून में लगभग असंभव होती है। लेकिन जितना भी संभव हो, अपने आस-पास सफाई रखें और बीमारियों को फैलने से बचाएं।

बच्चों को दें डी-वॉर्मिंग की गोलियां
खाने से पहले अच्छी तरह से हाथ धोना और उबला हुआ पानी पीने से गोल कीड़े के संक्रमण से बचा जा सकता है, लेकिन भारतीय माहौल में यह संभव नहीं हो सकता है। इससे बचने का सबसे आसान तरीका है बच्चे को साल में तीन से चार बार डी-वॉर्मिंग गोलियां देना। स्कूल जाने वाले बच्चों को तीन से चार महीनों में डी-वॉर्मिंग गोली की एक खुराक देने की सलाह कई देशों में दी जाती है। अगर आप भी अपने बच्चों को डी-वार्मिंग गोलियां देने की सोच रही हैं, तो एक बार पहले अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य ले लें।

एक अध्ययन में पाया गया कि मेबनडाजोल गोली साल में तीन बार देने से गोल कीड़े के संक्रमण में 97 प्रतिशत तक कमी आई।

 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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