बचपन में स्ट्रेस होना मतलब उम्र बढ़ने पर डिप्रेशन का शिकार होना हैः एक्सपर्ट

एक्सपर्ट द्वारा किए गए अध्ययन से पता लगा है कि जो लोग बचपन में प्रताड़ित या नकारे जाते हैं

बचपन में स्ट्रेस होना मतलब उम्र बढ़ने पर डिप्रेशन का शिकार होना हैः एक्सपर्ट

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली:

ड्यूक और टेक्सास हेल्थ साइंस सेंटर यूनिवर्सिटी, सैन एंटोनियो के शोधकर्ताओं ने सुझाव देते हुए कहा है कि जो लोग स्ट्रेस से परेशान हैं, वे उम्र बढ़ने पर डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं। एक्सपर्ट द्वारा किए गए अध्ययन से पता लगा है कि जो लोग बचपन में प्रताड़ित किए जाते हैं या नकारे जाते हैं, उन्हें आगे आने वाले समय में डिप्रेशन की समस्या हो सकती है। ऐसे में वे खुद को निश्चित भावनाओं से जोड़ नहीं पाते हैं।
 
शोधकर्ताओं ने करीब 106 बच्चों, जिनकी उम्र 11 से 15 के बीच की थी, पर प्राथमिक मैगनेटिक रेसोनेंनस इमेजिंग स्कैन कर उनके मूड और बेपरवाही को नापा। इसके चलते उन्होंने दो साल बाद भी उनके दिमाग को स्कैन किया।
 

 


 


 


 


 


 


 

 

शोधकर्ताओं ने वेनट्रल स्ट्रेटम, जो दिमाग में निश्चित भावनाओं को पैदा कर, अनुभवों की प्रक्रिया का नतीजा बताने में अहम रोल निभाता है- यह दोनों ही बातें डिप्रेशन की समस्या का कारण हैं।
 
पहले लेखक जेमी हैनसन ने बताया, 'दो साल के अंतर्गत हमने वेनट्रल स्ट्रेटम में गिरावट पाई, जिसके चलते बच्चों में भावनात्मक लापरवाही देखी गई।'
 

 

शोधकर्ताओं ने बताया कि भावानात्मक लापरवाही, बच्चों में एक ऐसी स्थिती होती है, जिसमें पेरंट्स बच्चों के ऊपर ध्यान नहीं देते हैं, जिसकी वज़ह से बच्चों में ये परेशानी उत्पन्न होती है। इस अध्ययन से ये पता चलता है कि जो लोग छोटी उम्र में स्ट्रेस का शिकार होते हैं, वे ज़िंदगी में उमंग, जोश और मज़ा नहीं कर पाते है।

 

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