नई दिल्ली: खाद्य सुरक्षा नियामक (FSSAI) ने कैफीनयुक्त पदार्थों और एनर्जी ड्रिंक्स में मौजूद कैफीन की मात्रा को जांचने का फैसला लिया है। इसके लिए वह एक एजेंसी देख रहे हैं, जो देश में इसके उपयोग के तरीके का अध्ययन कर सके। कैफीनयुक्त प्रोडक्ट और एनर्जी ड्रिंक्स नॉन-एल्कोहलिक (शराब रहित) पेय पदार्थ होते हैं। इनमें कैफीन, ग्वराना (ब्राजील पेड़ के बीज से तैयार एक पदार्थ), ग्लुकुरोनोलैक्टोन, टॉरीन, जिनसेंग (औषधीय पौधा), इनोसिटोल और विटामिन-बी जैसी सभी सामग्री उत्तेजक रूप से काम करती हैं।
खाद्य सुरक्षा नियामक के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि, “भारत में पिछले एक दशक में कैफीनयुक्त पदार्थों और एनर्जी ड्रिंक की खपत में वृद्धि पाई गई है। देश में युवाओं के इस्तेमाल करने के तरीकों पर हुए एक विस्तृत अध्ययन के बाद एफएसएसएआई ने कैफीन की मात्रा जांचने का फैसला किया है”। इसके आगे बताते हुए उन्होंने कहा कि, “ भारतीय खाद्य और सुरक्षा मानक प्राधिकरण ने एक उपयुक्त एजेंसी की नियुक्ति के लिए रूचि की अभिव्यक्ति (ईओआई) को निमंत्रित किया है, ताकि कैफीनयुक्त पेय पदार्थों के उपयोग के तरीके पर अध्ययन किया जा सके”।
अधिकारी का कहना है कि, ईओआई अपनी तकनीकी और वित्तीय निविदा 30 जुलाई तक प्रस्तुत करेगा, जो कि जमा तारीख के तीन महीने तक ही मान्य होगा। सफल बोली लगाने वाले को 25 अगस्त तक चुना जाएगा। साथ ही, उसे प्रस्तावित अध्ययन पूरा करके इसी साल की 30 नंवबर तक जमा करना होगा।
एफएसएसएआई द्वारा सूचित ड्राफ्ट मानकों के अनुसार, कैफीनयुक्त पेय पदार्थों को पानी पर आधारित नॉन-एल्कोहलिक फ्लेवर ड्रिंक्स में बांटा गया है। इसमें मौजूद कुल कैफीन एक लीटर में 145 मिलीग्राम से कम और 320 मिलीग्राम प्रति लीटर से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए। उत्पाद बनाने में भले ही किसी भी स्रोत का इस्तेमाल क्यों न किया गया हो। एफएसएसएआई खाद्य पदार्थों के लिए विज्ञान आधारित मानकों को निर्धारित करेगा। इसके अलावा, मानव उपयोग के लिए सुरक्षित भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करते हुए, अपने उत्पादक, भंडारण, वितरण, सेल और आयात को भी नियंत्रित करेगा।