होली स्पेशलः जानें क्यों पसंद की जाती है भारतीय त्यौहारों पर गुजिया

रंगों का त्यौहार हो और किचन से गुजिया की खुशबू न आए, ऐसा भला कैसे हो सकता है। होली का दिन आते ही, घरों में गुजिया बनाने की तैयारी शुरू हो गई हैं। बड़े-बच्चे सब गुजिया बनाने के लिए उत्साहित हैं। चलिए, आपको बताते हैं गुजिया से जुड़ी कुछ खास बातें और इसके इतिहास के बारे में-

होली स्पेशलः जानें क्यों पसंद की जाती है भारतीय त्यौहारों पर गुजिया

नई दिल्ली:

What Makes Gujiya an Indian Festive Favourite: कुछ दिन पहले से ही लोगों में होली का जोश और उत्साह दिखने लगता है। सड़कों पर पड़ा गुलाल लोगों के होली के उत्साह को बड़ी आसानी से बयां करता है। होली पर सिर्फ रंग, पिचकारी और गुब्बारों का ही महत्व नहीं है, बल्कि किचन में बनने वाले पकवान भी लोगों के दिल में अपनी एक अलग ही जगह रखते हैं। हर शुभ काम का शुभारंभ मिठाई के साथ किया जाता है, तो फिर घर में पूजन हो या फिर फेस्टिवल जैसे दिवाली, होली, क्रिसमस और ईद। बिना मुंह मीठा किए, इनमें से किसी भी काम का शुरुआत ही नहीं होती। वैसे तो मुंह मीठा करने के लिए हर बार ही किचन में कुछ पकाया नहीं जाता, लेकिन कुछ बड़े त्यौहार जैसे दिवाली, होली पर मेहमानों का आना जाना ज़्यादा होता है, इसलिए कुछ चीज़ें इसी खास मौकों पर घर में अपने हाथओं से ही बनाई जाती हैं।

 

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गुजिया भी इन्हें मिठाई में से एक है, जो कि होली के खास मौके पर हर घर-परिवार में देखी जा सकती हैं। मावे या खोये के साथ ड्राई फ्रूट्स इनके टेस्टी होने का मुख्य कारण है। हर राज्य इसे अपने ही स्टाइल में बनाता है। जहां उत्तर भारत में खोया और ड्राई फ्रूट्स की स्टफिंग की जाती है, वहीं महाराष्ट्र, कर्नाटक और गोआ में नारियल की स्टफिंग इसे दूसरे राज्यों से अलग बनाती है। यह पूरे भारत भर में सिर्फ होली पर ही नहीं, बल्कि कई जगह दिवाली, क्रिसमस के मौके पर भी बनाई जाती है। यह मीठी, क्रंची गुजिया कमरे के तापमान पर ही खाई जाती है। सिर्फ हम ही नहीं, बल्कि हमारे जैसे बहुत से लोग इन्हें घर में बनाना ही पसंद करते हैं।

 

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मुझे आज भी याद है मेरे ग्रेंडपैरेंट्स कढ़ाई से निकलती गर्मा-गर्म गुजिया सीधे ही खा जाते थे। यह उनके लिए किसी ट्रट से कम नहीं होता था, जिसका वह इंतजार उन्हें बहुत बेसर्बी से हुआ करता था। रंग वाली होली के तीन दिन पहले से ही गुजिया बनाकर रख ली जाती थी, ताकि होली खेलने आने वाले गेस्ट के सामने कुछ स्नैक वगैराह परोसे जा सकें। गुजिया के साथ कई घरों में नमकपारे, मठ्ठी और पकौड़े आदि भी प्लेट में सजे दिख जाते हैं।

यह खास गुजिया होली के स्वागत के रूप में बनाई जाती हैः मयूज़िक से भरी शाम, अपने बड़े, छोटों और परिवार के सदस्यों पर रंग लगाकर होली खेलना और इसके साथ टेस्टी फूड। होली की शाम को यादगार बनाने के लिए काफी होता है। इस दिन बाज़ार से या घर पर फ्रेश गुजिया भगवान को भोग लगाने के लिए यूज़ की जाती है। उसके बाद घर आए मेहमानों के साथ इसके स्वाद को शेयर किया जाता है।

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गुजियाः छोटी-मीठी पकौड़े
गर्मा-गर्म गुजिया का स्वाद, कमरे के तापमान पर रखी गुजियाओं के मुकाबले बहुत अलग होता है। मैदे के कवर में गर्मा-गर्म खोया, पिघले खोये का स्वाद देता है, वहीं कैरेमलाइज़्ड चीनी का फ्लेवर और घी में तली गुजिया में से आने वाली घी की खुशबू किसी को भी खाने के लिए अपनी ओर खींच लेती है। मेरे घर किचन से आने वाली गुजिया की खुशबू मुझे उसका स्वाद चखने में हमेशा नाकाम कर देती है।


होली के कुछ दिन पहले से ही हलवाई की दुकानों पर गुजिया की थालियां होली के आगमन की खबर सुना देती हैं। घर में बनी गुजिया में चिरौंजी और किशमिश नट्स डाले जाते हैं और इन्हें इलायची पाउडर के साथ मिक्स करके स्वादिष्ट बनाया जाता है। बाज़ारों में इन दिनों फैंसी गुजिया भी लोगों को खूब पसंद आ रही है। मैदा के ऊपर केसर की कोटिंग देखकर ऐसा लगता है जैसे गुजियाओं ने भी रंगों की होली खेल ली हो। साथ ही, उन्हें ज़्याजा मीठा और देखने में अच्छा बनाने के लिए एक्सट्रा शुगर सीरप कोट किया जाता है।
 

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गुजिया बनाने की कला
इसे बनाना भी किसी कला से कम नहीं है। गुजिया के किनारों को सुंदर तरीक से बंद करना, एक-एक गुजिया को फोल्ड करना भी कोई आसान काम नहीं है। जब हम बच्चे थे, तो हमें सबसे मुश्किल काम गुजिया में मिश्रण भरने का दिया जाता था और उसके बाद गुजिया को सफाई से मोड़कर बंद करने का काम भी कोई कम नहीं होता था।

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हाथ से बनी गुजिया तो अब जैसे खो ही चुकी हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि यह मिठाई विश्वभर में पूरी तरह से फेमस हो चुकी है। यही नहीं, अब हमारे बीच चॉकलेट गुजिया भी अपनी जगह बना चुकी है। गुजिया भारत के पास्ट की परछाई है- बिल्कुल एक समोस की तरह। जैसे समोसा, आलू और मैदा ने फिलो शीट और कटे हुए मीट की जगह ली और वेस्ट एशिया से सफर करते हुए, भारत के भूमध्य भाग तक पहुंच गया। उसी प्रकार गुजिया का भी इतिहास है। यह भी समोसे का ही अंग है। दोनों के ही बाहरी भाग पर मैदा होती है। बस, इसकी भरावन और शेप बदल गई। सबकान्टिनेंटल (उपमहाद्वीप) शेफ नई तकनीक और सामग्री के साथ ऐसा करने में सक्षम हो पाए।   

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समोसे की तरह ही गुजिया भी मध्यकालीन डिश है। यह भारत में समानता और टेस्ट, जिसने मुगल काल में अपनी जगह बनाई, को दर्शाता है। इसका आइडिया वेस्ट से सफर करता हुआ ईस्ट पहुंचा और फिर मध्य भारत में फेमस हो गया। और होली पर बनने और मिलने वाली यह स्पेशल मिठाई बन गई। तो इस होली आप घर आए गेस्ट्स का मुंह कैसे मीठा करवाने वाले हैं?
 

Happy Holi 2019