Sarika Rana | Translated by: Payal | Updated: November 11, 2020 16:29 IST
टरमरिक या हल्दी एक प्राचीन जड़ है जो लंबे समय से अपने औषधीय और हीलिंग गुणों के लिए जानी जाती है. भारतीय रसोई में मिलने वाला एक आम मसाला है और इसका गर्म और कड़वा स्वाद आपके करी में एक अलग स्वाद जोड़ता है. हल्दी में करक्यूमिन नामक सक्रिय तत्व एक स्वस्थ यौगिक के रूप में जाना जाता है जो इस मसाले को देसी सुपरफूड बनाता है. डीके पब्लिशिंग की बुक हीलिंग फूड्स के अनुसार, हल्दी में करक्यूमिन एंटीऑक्सिडेंट और एंटी इनफेलेमेट्रेरी गुण होते हैं जो रोग-मुक्त कणों से लड़ने में मदद करते हैं. हालांकि, हर चीज को सही रूप में लेने की सलाह दी जाती है, किसी भी चीज की अधिकता खराब हो सकती है और आपके स्वास्थ्य गलत प्रभाव डाल सकती है. हल्दी के भी कुछ साइड इफेक्ट्स हैं जिनसे आपको अवगत होना चाहिए.
आमतौर पर एक दिन में एक छोटे चम्मच हल्दी की सिफारिश की जाती है जिसे सुरक्षित माना जाता है. किसी भी चीज की अधिकता प्रतिक्रियाओं को ट्रिगर कर सकता है. कंसल्टेंट न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. रूपाली दत्ता के अनुसार, “हालांकि हल्दी का प्राकृतिक रूप में सेवन स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है, लेकिन इसकी अधिकता से पेट में जलन, मितली और चक्कर आ सकते हैं. खासकर, अगर आप हल्दी कैप्सूल या सप्लीमेंट अधिक मात्रा में लेते हैं, तो यह आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकते है. मैं हल्की मात्रा में हल्दी को प्राकृतिक रूप में लेने की सलाह दूंगी.
जबकि हल्दी के सकारात्मक पहलू दुष्प्रभाव को दूर कर सकते हैं, यह जानना महत्वपूर्ण है कि हल्दी जैसे प्राकृतिक उपचार से शरीर में कुछ स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. यहां हल्दी से होने वाले पांच दुष्प्रभाव जानने जरूरी है.
हल्दी आपके शरीर में गर्मी उत्पन्न करती है, इससे आपके पेट में सूजन पैदा हो सकती है जिसकी वजह से पेट में दर्द और ऐंठन हो सकती है.
हल्दी में ऑक्सलेट होते हैं जो गुर्दे की पथरी के खतरे को बढ़ा सकते हैं. ये ऑक्सालेट कैल्शियम को अघुलनशील कैल्शियम ऑक्सालेट के रूप में बांधते हैं जो कि गुर्दे की पथरी का एक प्राथमिक कारण है.
हल्दी में पाया जाने वाला सक्रिय यौगिक करक्यूमिन में गैस्ट्रोइन्टेस्टनल ट्रैक्ट को परेशान करने की प्रवृत्ति होती है, जिसकी अधिक मात्रा में सेवन से दस्त और उल्टी का कारण बनता है.
हल्दी में मौजूद कुछ यौगिकों से आपको एलर्जी हो सकती है जो कि चकत्ते और सांस की तकलीफ का कारण बन सकते हैं. एलर्जी प्रतिक्रियाएं इन्जेस्चन और त्वचा संपर्क दोनों से हो सकती हैं.
हल्दी का अधिक सेवन आयरन के अवशोषण को बाधित कर सकता है. इसलिए, आयरन की कमी वाले लोगों को सावधान रहना चाहिए कि वे अपने दैनिक भोजन में बहुत अधिक हल्दी न डालें, क्योंकि यह आयरन को अवशोषित करने की शरीर की क्षमता को कम कर सकता है.
हल्दी के इन दुष्प्रभावों से बचने और इसके लाभों का आनंद लेने के लिए संयम से इसका इस्तेमाल करें.
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