नींद में आते हैं बुरे सपने, तो हो जाइए सावधान!

नींद में आते हैं बुरे सपने, तो हो जाइए सावधान!

लखनऊ:

रात में या दिन में सोते समय हमें कई बार बुरे सपने आते हैं। कई लोग सोते-सोते घबराहट में उठ जाते हैं, तो कई इसके चलते पसीना आने की शिकायत करते हैं। लेकिन आपको बता दें कि यह सिर्फ घबराहट की निशानी है। घबराइए मत इसका मतलब सपने के सच होने से बिलकुल नहीं है। अगर आप भी नींद में बार-बार बुरे सपने देखते हैं और सोने में अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं, तो सावधान हो जाइए, क्योंकि आप ऐसे में एक मानसिक बीमारी 'पोस्ट ट्रामैटिक स्ट्रैस डिसऑर्डर' (पीटीएसडी) का शिकार हो सकते हैं।

मनोवैज्ञानिक डॉ. प्रशांत शुक्ल ने बताया कि “इस बीमारी के होने से कई लोग चिड़चिड़े हो जाते हैं, जिसमें वह छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करने लगते हैं। ‘पीटीएसडी’ एक ऐसी समस्या है, जहां दिमाग में अतीत की घटनाएं वर्तमान में प्रतिक्रया देती हैं”। डॉ. शुक्ल के मुताबिक, शोध में पता चला है कि बचपन में मन पर होने वाले परिवारिक तनाव ‘पीटीएसडी’ के होने की संभावना को बढ़ावा देता है।
 


क्या हैं इस बीमारी के लक्ष्ण
जिस प्रकार बाकी की बीमारियों के लक्ष्ण होते हैं, उसी प्रकार पीटीएसडी के भी कई लक्ष्ण हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में:
इस बीमारी के चलते आप जल्दी जागना और नींद में बुरे सपने देखने लगते हैं। एक ही घटना के बार-बार दिखना या याद आना जेसी भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा आपको भूलना या विस्मृति और स्मृति में भी परेशानियां होने लगती हैं। किसी भी काम में ध्यान केंद्रित करने में भी कई कठिनाइयां आती हैं। अति सतर्कता, अचानक से तेज़ गुस्सा आ जाना और कभी-कभी तो व्यक्ति इस बीमारी में हिंसक हो जाता है। सोते समय अचानक डर से दिल का दौरा पड़ने की भी समस्या हो सकती है।

सिर्फ यही नहीं इस बीमारी में बिना किसी कारण से मांसपेशियों में भी दर्द होने लगता है। व्यक्ति में घबराहट और चिंता भी बनी रहती है। किसी भी बात पर ज़्यादा शर्म, ग्लानि और शर्मिदगी के साथ इंसान भावुक होने लगता है। पीड़ित को किसी भी घटना से जुड़ी बातों को नजरअंदाज न कर पाने की भी शिकायत रहती है।

बताते हैं इसके उपचार के बारे में
इन सभी लक्ष्णों को जान लेने के बाद अब आप सोच रहे होंगे कि इस बीमारी का क्या उपचार हो सकता है, तो आपको बता दें कि पीड़ित की दिमागी हालत में जल्दी सुधार और आघात के लक्ष्णों को कम करने के लिए चिकित्सक ‘मूड एलिवेटर’ थेरेपी का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए आप हिप्नोसिस का भी सहारा लि सकते हैं, जो काफी हद तक कारगर भी सिद्ध हुआ है।
 

इन तीन प्रकार की तकनीक को अपनाएं
कॉगनेटिव बिहेवरल थेरेपीः यह एक प्रकार की वैज्ञानिक वार्तालाप की विधि होता है। इसके तहत दर्दनाक घटनाओं से उपजी गलत सोच के बारे में पीड़ित से बात की जाती है।

आघात केंद्रित सीबीटीः इस विधि में पीड़ित को आघात संबंधी वार्ता के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इसके अलावा इसमें व्यक्ति की झिझक को दूर करने के साथ उसकी चिंता को भी दूर करने की कोशिश की जाती है।

नेत्र विचेतन और पुर्नलोकनः इसमें पीड़ित को, चिकित्सक की उंगली को देखते हुए अपने आघात के बारे में बातें करने को कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इससे पीड़ित के लक्ष्णों में काफी सुधार आता है। ‘पीटीएसडी’ के उपचार में यह सबसे कारगर तरीका है।

इनपुट्स आईएएनएस से

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