लेखक नैंसी ज़क्कर, ड्यूक यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन, यू.एस. का कहना है कि “हम उन बच्चों की बात नहीं कर रहे हैं, जो ब्रॉक्ली खाने से मना करते हैं। बल्कि उनकी बात कर रहे हैं, जो खाना कम और चुनकर खाते हैं, जिसकी वज़ह से उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है”।
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ज़क्कर के अनुसार “नुकसान कई अलग-अलग रूपों से हो सकता है। जैसे बच्चे के स्वास्थ्य, बढ़ोतरी, सामाजिक कार्य और माता-पिता के साथ बच्चे के रिश्ता पर असर होना। ऐसे में बच्चे के मन में यह भी आ सकता है कि उसके ऊपर कोई विश्वास नहीं करता”।
3,433 बच्चों पर अध्ययन किया गया, जिसे बाद में जरनल पेडिएट्रिक्स में प्रकाशित किया गया। इस दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि अगर बच्चे अपना खाना मीन मेख निकालते हुए, चुनकर खाना पसंद करते हैं, तो ये डिप्रेशन, सामाजिक चिंता और साधारण चिंता के लक्षण हैं।
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अध्ययन के अनुसार जो बच्चे खाने में सामान्य मीन मेख निकालते हैं, उन्हें साइकेट्रिक डाएगनोज़ की ज़रूरत नही पड़ती। वहीं, जो बच्चे बहुत ज़्यादा खाने में मीन मेख निकालते हैं, वे असल में डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं। इसके अलावा जो बच्चे सामान्य और बहुत ज़्यादा मीन मेख निकालते हैं, वे नियामक भोजन लेने की अव्यवस्था के अंदर आते हैं।