Aradhana Singh | Updated: November 30, 2020 09:01 IST
Kartik Purnima 2020: हिन्दू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी की पूजा भी की जाती है.
Kartik Purnima 2020: आज 30 नवंबर 2020 को कार्तिक मास की पूर्णिमा है. हिन्दू धर्म में पूर्णिमा (Kartik Purnima) का बहुत महत्व हैं. इसे कार्तिक महीने के 15 वें चंद्र दिवस पर मनाया जाता है. कार्तिक पूर्णिमा सिखों के लिए भी एक महत्वपूर्ण अवसर है, क्योंकि इस दिन सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की जयंती भी होती है. कार्तिक पूर्णिमा की शाम को ही देव दीपावली मनाई जाती है. इसलिए इसे कई नामों से जाना जाता है जैसे त्रिपुरी पूर्णिमा और त्रिपुरारी पूर्णिमा या देव-दीवाली या देव-दीपावली, देवताओं के प्रकाश का त्योहार आदि. देव दीपावली का क्या है, और इसका महत्व, देव दिवाली के दिन घर पर अपने अपने पितरों के नाम पर दीपक रखें. माना जाता है कि देव दीपावली को पितर देवताओं को दीप दान करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं. हिन्दू धर्म में इस दिन तुलसी की पूजा की जाती है. शास्त्रों में तुलसी के पौधे को लक्ष्मी (Goddess Lakshmi) का रूप बताया गया है. मान्यता है कि तुलसी का पौधा घर में आने वाली विपत्ति को रोकने के साथ-साथ रोगों के नाश के लिए भी एक अच्छा उपाय है. साथ ही यह परिवार की आर्थिक स्थिति के लिए भी शुभ होती है. कार्तिक पूर्णिमा को कार्तिक के पवित्र महीने के अंत में मनाया जाता है. तो चलिए हम आपको बताते है कर्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त और महत्व.
कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव और लक्ष्मी माता, भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इस दिन सुबह से उठकर स्नान आदि करके भगवान का ध्यान करें, और पूजा करन के बाद प्रसाद में खीर और फलों का भोग लगाकर प्रसाद बांटें. माना जाता है कि शाम को लक्ष्मी नारायण की आरती करने के बाद तुलसी जी की आरती भी करें और दीपदान करें, तो चलिए हम आपको इस दिन पूजा के लिए झटपट खीर रेसिपी के बारे में बताते हैं. जो कम समय में आसानी से कार्तिक पूर्णिमा पर आप बना सकते हैं. माता लक्ष्मी को सफेद रंग को भोग बहुत पसंद है. खीर एक ऐसा लाजवाब डिजर्ट है, जिसे आप पूजा के भोग में चढ़ा सकते हैं. खीर को दूध, चावल और चीनी से तैयार किया जाता है. ये बहुत ही स्वादिष्ट डेज़र्ट है. रेसिपी के लिए यहं क्लिक करें.
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कार्तिक पूर्णिमा सोमवार, 30 नवंबर, 2020
पूर्णिमा तीथि समाप्त- 30 नवंबर, (2020) 02:59 को
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कार्तिक पूर्णिमा भारत के सबसे पुराने और प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है. भक्त अक्सर स्नान करने के लिए पवित्र गंगा जैसी नदियों के तट पर जाते हैं, जिसे 'कार्तिक स्नान' भी कहा जाता है. वे अपनी प्रार्थनाओं और उपवासों का पालन करने के लिए मंदिरों में भी जाते हैं. कार्तिक पूर्णिमा को लेकर कई तर्क हैं. कुछ का कहना है कि यह भगवान शिव के योद्धा पुत्र कार्तिक की जयंती है, जबकि कुछ का कहना है कि यह वह दिन है जब भगवान विष्णु ने अपना पहला अवतार 'मत्स्य' लिया था. इन तर्कों के अनुसार, भगवान शिव ने इस दिन पराक्रमी दानव त्रिपुरासुर को हराया था, इसलिए कई लोगों द्वारा इस त्योहार को त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहा जाता है. कार्तिक पूर्णिमा का व्रत बिना प्याज और लहसुन के साथ, फल, दूध और हल्के सात्विक भोजन के साथ किया जाता है. यदि आप बूढ़े, बीमार या गर्भवती हैं, तो आपको यह 'निर्जला' व्रत करने की सलाह नहीं दी जाती.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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