ये एमएसजी है बड़ा खतरनाक, जानें आखिर क्या है इसके पीछे की कहानी

खाद्य पदार्थों को ज्यादा टेस्टी और यमी बनाने के लिए उनमें स्वाद बढ़ाने वाले पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है.

ये एमएसजी है बड़ा खतरनाक, जानें आखिर क्या है इसके पीछे की कहानी

नई दिल्ली:

दो मिनट में पकने वाली मैगी ने छोटों से लेकर बड़ों तक को उदास कर दिया है। जब पेट में चूहे दौड़ते थे, तो अकसर हमें मैगी ही याद आती थी या फिर यूं कह लें कि मैगी का नाम सुनते या सोचते ही भूख लग जाती थी।

मैगी के बैन होते ही लोग दूसरे ऑप्शन की ओर दौड़े, तो उनमें भी एमएसजी होने और उनके बैन होने का खतरा मंडराने लगा। अब सभी के दिमाग में यही सवाल दौड़ रहा है कि आखिर यह एमएसजी (मोनोसोडियम ग्लूटामेट) या लेड (सीसा) है क्या? इसे खाने से क्या होगा और इसी तरह के न जाने कितने प्रश्न आपके दिमाग में घर बनाए बैठे होंगे।

टीवी, रेडियो और न्यूजपेपर में मैगी नूडल्स बंद होने की बात तो सबने पढ़ ली, लेकिन दिमाग में अभी भी एक सवाल बरकरार है कि अचानक ऐसा हुआ क्यों? तो बता दें कि मामले की शुरुआत उत्तरप्रदेश से हुई, जब वहां मैगी नूडल्स के नमूने जांच के लिए खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के लिए कोलकाता की लैब में भेजे गए।

 

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जांच के नतीजों ने लोगों को हैरान कर दिया कि मैगी नूडल्स में मोनोसोडियम ग्लूटामेट और लेड (सीसा) की मात्रा काफी ज्यादा है। वहीं, नेस्ले ने सफाई देते हुए कहा कि नूडल्स में केवल प्राकृतिक रूप से उत्पन्न ग्लूटामेट ही है। उसमें किसी भी तरह का कोई एमएसजी इस्तेमाल नहीं किया गया है, जो कि अनुमति स्तर का एक प्रतिशत मतलब न के बराबर ही है।

खाद्य पदार्थों को ज्यादा टेस्टी और यमी बनाने के लिए उनमें स्वाद बढ़ाने वाले पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है। मैगी को छोड़कर दूसरे उत्पादों की बात की जाए, तो उनका भी कुछ ऐसा ही हाल मिलेगा। आइए जानें कुछ ऐसे ही स्वाद बढ़ाने वाले पदार्थों के बारे में जिनमें होता है एमएनजी का इस्तेमाल-

अगर कोई मुझसे पूछता है कि मेरा पंसदीदा व्यंजन कौन सा है, तो हजारों भारतीयों की तरह मेरा जवाब भी चाइनीज फूड ही होगा। यहां भारतीय चाइनीज खाने की बात हो रही है, जो पूरी तरह से भोजन का एक अलग प्रकार है। चाइनीज व्यंजनों में अपने अलग ही मसाले और समाग्री का इस्तेमाल होता है।

रेस्तरां और होटलों के चाइनीज फूड को घर पर एकदम वैसा नहीं बनाया जा सकता, भले ही आप वैसी ही सामग्री प्रयोग क्यों न करें। आप कितनी भी बार घर पर क्यों न बना लें, लेकिन रेस्तरां जैसा स्वाद घर पर नहीं पाया जा सकता। क्या आपने कभी सोचा है ऐसा क्यों? अकसर लोग खुद में ही कमी निकालकर शांत बैठ जाते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है।

मुझे चाइनीस टेस्ट वाले व्यंजनों को घर में बनाने की जिद्द थी, इसलिए मैं धीरे-धीरे उन सामग्रियों को खोजती रहती थी, जो डिश को टेस्टी और लोकप्रिय बनाते हैं। मेरी इन्हीं कई असफल प्रयासों की कहानी जब मैंने अपनी मां को सुनाई, तो उन्होंने सलाह दी 'अपनी डिश में सिर्फ अजीनोमोटो डालो।' मैंने मां की बात मानते हुए इस पारदर्शी सामग्री के क्रिस्टल डाले, और डिश का स्वाद एकदम से बदल गया और मेरी डिश में रेस्तरां जैसा स्वाद भी आ गया।

 

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हम में से बहुत से लोग अजीनोमोटो तो जानते हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इसका असली नाम एमएसजी (मोनोयोडियम ग्लूटामेट) है। यह मामला दरअसल गलत पहचान का है, जिसमें प्रॉडक्ट से ज्यादा ब्रांड बड़ा बन जाता है।

पहली बार जापानी कंपनी ने ही बताया था कि एमएसजी को अजीनोमोटो कहा जाता है, जिसका मतलब होता है 'एसंस ऑफ टेस्ट' (स्वाद का सार)। कंपनी ने इसके नाम के अनुसार ही इसे इस्तेमाल किया। अकसर यह दुनियाभर में चर्चा का विषय बना रहता है, भले ही कई बार कोई गलत कारण ही क्यों न हो।

सूप में छिपा एमएसजी का राज

ऐसा अक्सर कहा जाता है कि एक परफेक्ट डिश सभी सामग्री के मेल से बनती है, जिसमें हर एक सामग्री दूसरे की पूरक हो, लेकिन अपने खुद के गुण भी उसमें बरकरार रहे। बहुत साल पहले, एक जापानी व्यक्ति किकुनै इकेडा ने अपनी पत्नी द्वारा बनाए टेस्टी सूप के बाउल में से कुछ नया ढूंढा। उनकी पत्नी अकसर केल्प नामक समुद्री घास से एक लोकप्रिय जापानी स्टॉक 'दाशी' बनाया करती थी। केल्प का टेस्ट काफी अलग था, इसलिए इकेडा उसे मीठे, नमकीन, खट्ठा या कड़वे स्वाद में वर्गीकृत नहीं कर पा रहा था। उसके ऊपर इसका इतना प्रभाव पड़ा कि धीरे-धीरे उसने दो बातों का नेतृत्व किया। पहला पांचवे फ्लेवर उमामी और दूसरा मोनोसोडियम ग्लूटामोट का विकास।

कई सालों के अध्ययन के बाद इकेडा ने जाना कि उमामी स्वाद का रसायनिक आधार एक यौगिक है, जिसे सोडियम ग्लूटामेट कहते हैं। यह ग्लूटामिक एसिड से प्राप्त होता है। यह कई सामग्री और मसालों में पाया जाता है। ग्लूटामिक एसिड युक्त प्रोटीन को पकाकर और उबालकर तोड़ा जाता है, तब जाकर यह ग्लूटामेट बनता है।

इसके बाद इकेडा बड़े पैमाने पर होने वाले उत्पादन की जगह गया, जहां उसने इस यौगिक को आम आदमी के बीच में सक्षम किया, ताकि लोग अपनी डिश को ज्यादा टेस्टी बनाने में इसका इस्तेमाल कर सकें। तब से अजीनोमोटो प्रचलन में आ गया। पारंपरिक व्यंजनों में प्राकृतिक सामग्री इस्तेमाल करने के लिए कहा जाता है, लेकिन उसमें उमामी फ्लेवर लाने में काफी टाइम और राशि खर्च करनी पड़ती है,  वहीं औद्योगिक रूप से शुद्ध ग्लूटामेट नमक जल्दी, आसान, सुविधाजनक और एकदम से फ्लेवर लाने वाला बूस्टर है।

 

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एमएसजी से बढ़ता है स्वाद

एमएसजी यानी मोनोसोडियम ग्लूटामेट कैसे खाने को स्वादिष्ट और टेस्टी बनाता है? यह सवाल लगभग सभी को परेशान कर रहा होगा, तो आपको बता दें कि ग्लूटामेट की प्राकृतिक स्वाद बढ़ाने वाली क्षमता खाने में बहुत ही अलग होती है, लेकिन आपको यह जानकर बहुत आश्चर्य होगा कि टमाटर, चीज़, सोयबीन और सूखे मशरूम में यह प्रचुरमात्रा में पाया जाता है।

एमएसजी दूसरे फ्लेवर जैसे मुख्यतः नमक और चीनी के साथ मिलकर काम करता है और उमामी फ्लेवर को सक्रिय कर आपके टेस्ट को बढ़ाता है। सालाद में सूखे मशरूम, नूडल्स में सोया-सॉस का छिड़काव, पास्ता पर हल्का सा पनीर डालें और आपके पास होगा आपका उमामी फ्लेवर। मीट पर आधारित डिशों, सूप, स्ट्यू और हल्की तली हुई सब्जियों, चावल और नूडल्स में एमएसजी का फ्लेवर डिश के स्वाद को एकदम बदल देता है।

हानिकारक भी है एमएसजी

19 वीं शताब्दी में मोनोसोडियम ग्लूटामेट मिलने के बाद दुनियाभर में एमएसजी मिलने की खबर फैल गई। इसके बाद जब लोगों ने इसे चखना शुरू किया, तो उनके लिए यह काफी नहीं था।

अचानक से एमएसजी हर जगह दिखाई देने लगा जैसे  प्रोसेस्ड मीट, डिब्बे वाले खाद्य पदार्थों जैसे टूना (एक प्रकार की फिश), सूप, सालाद, स्नैक्स, आइसक्रीम, च्विंग गम, रेडी-टू-इट उत्पाद, बच्चों के खाने आदि सब में एमएसजी ने अपनी जगह बना ली। जब एमएसजी खाने से लोग बीमार पड़ने लगे, तो एक चाइनीज रेस्तरां ने चाइनीज व्यंजनों में इसका इस्तेमाल बंद कर दिया। एमएसजी खाने के बाद लोगों में एक जैसे ही लक्षण दिखाई देने लगे।

 

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मेडिको-एकेडमिक इंडस्ट्री ने एमएसजी के बुरे प्रभावों के बारे में छापना शुरू कर दिया, जो कि उसे प्रमुख पतन की ओर ले गया। शुरुआत में सिर दर्द, मुंह पर लाली, पसीना, सुन्न होना, चेहरे पर दबाव, छाती पर दर्द, उलटी और कमजोरी जैसी समस्याओं का सामना लोगों को करना पड़ा। कुछ अध्ययन से पता लगा कि इसके सेवन से बच्चों के दिमाग और आंख पर भी असर पड़ता है।

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और आखिरकार इससे होने वाली बीमारियों की वजह से एमएसजी वाले खाद्य पदार्थों को जांच लिस्ट में रखा जाता है। इसके विवाद कभी कम नहीं हो सकते, क्योंकि खाद्य कंपनियों का आरोप है कि कोई उचित वैज्ञानिक तथ्य नहीं है, जो इन सभी आरोपों का समर्थन कर सके।

 

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