18 साल की उम्र तक खाएं छह चम्मच से कम चीनी, आइए जाने क्यों...

18 साल की उम्र तक खाएं छह चम्मच से कम चीनी, आइए जाने क्यों...

नई दिल्ली:

हम सभी का मन कभी-कभी तेज़ मीठा खाने का करता है। ऐसे में या तो हम बाज़ार से खरीदकर कोल्ड ड्रिंक पी लेते हैं, या फिर चाय या कॉफी में तेज़ मीठा पीना पसंद कर लेते हैं। रही बात डिज़र्ट्स की, तो उन्हें भी भारी मात्रा में चीनी डालकर तैयार किया जाता है।

18 या इससे कम साल की उम्र के बच्चों को चीनी युक्त आहार का कम सेवन करना चाहिए, ऐसा हम नहीं, बल्कि एक शोध के अनुसार कहा गया है। छोटी उम्र के बच्चे चीनी के शौकीन होते हैं, लेकिन अतिरिक्त चीनी वाले पकवान और पेय पदार्थ सेहत के लिए समस्या पैदा कर सकते हैं। इसके ज़्यादा सेवन करने से बच्चों के दांतों में सड़न, मोटापा और पौष्टिकता में कमी हो सकती है। आईएमए के मनोनीत अध्यक्ष पद्मश्री डॉ के. के. अग्रवाल का कहना है कि “दो से 18 साल की उम्र के बच्चों को दिन में प्रतिदिन छह चम्मच से कम चीनी खानी चाहिए। इसके अलावा उन्हें हफ्ते में आठ औंस से कम मीठे पेय पदार्थों का सेवन करना चाहिए”।

प्रोसेसड उत्पाद और घर में तैयार पकवान
टेबल शुगर, फ्रूक्टॉस और शहद के साथ प्रोसेसड उत्पाद और पेय पदार्थ में शामिल की जाने वाली चीनी और खाने की मेज पर चीजों में डाली जाने वाली चीनी में काफी अंतर होता है। दो साल से छोटे बच्चों को इन सभी चीज़ों से परहेज करना चाहिए”। ज़्यादा मीठे पकवान और पेय पदार्थ लगातार लेते रहने से हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा और डायबिटीज़ की समस्या होने लगती है। क्या आफ जानते हैं कि मार्केट में मिलने वाले पकवानों और पेय पदार्थों में अधिक मात्रा में चीनी पाई जाती है।

डॉ. अग्रवाल का कहना है कि पैरेंट्स को बच्चे के आहार से मीठा पूरी तरह से खत्म नहीं करना चाहिए। उन्हें कम ही सही लेकिन थोड़ी मात्रा में चीनी ज़रूर देनी चाहिए। उचित मात्रा में मीठे का सेवन संतुलित आहार के लिए ज़रूरी है। कुकीज़ और मीठी चीजों पर थोड़ा-थोड़ा करके लगाम लगाई जा सकती है। उनकी जगह पर फलों वाले मीठे पकवान दिए जा सकते हैं। मीठे वाले सीरियल की बजाय संपूर्ण अनाज वाले बिना मीठे वाले सीरियल दिए जा सकते हैं। इसके अलावा बच्चों के लिए खरीदते वक्त उत्पादों में शामिल तत्वों को ज़रूर देखें। अगर आप इनमें सबसे ऊपर के हिस्से में मीठा, हाई फ्रुकटोस कॉर्न सिरप आदि देखेंगे, तो इससे बेहतर विकल्प का चुनाव कर सकेंगे। अगर आप घर में ही कुछ मीठा बनाना चाहते हैं, तो उसमें कम चीनी का प्रयोग करें। साथ ही अपने बच्चे को दिन में दो बार ब्रश भी कराएं।

मीठे के सेहत पर नए प्रभाव
चीनी के बारे में इतना कुछ पढ़ने के बाद आप सोच रहे होंगे कि यह आपके शरीर और लाइफस्टाइल पर कितना बुरा प्रभाव डाल सकती है। साथ ही स्वास्थ्य संबंधी भी इसके कोई फायदे दिखाई नहीं देते हैं। अतिरिक्त चीनी में कोई पौष्टिकता नहीं होती, बल्कि यह दांतों के लिए काफी नुकसानदायक साबित हो सकती है। इसमें अत्यधिक फ्रूकटॉस होता है, जो लिवर पर भारी पड़ता है। फ्रूकटॉस से लिवर पर वज़न डालने से नॉन-एल्कोहलिक फैटी लिवर रोग हो सकता है।

मीठे से इनसुलिन रेसिस्टेंस पैदा होता है, जिससे मेटाबॉलिक सिंड्रोम और डायबिटीज़ होने का खतरा बढ़ जाता है। इनसुलिन रिसेस्टेंस से टाइप-2 डायबिटीज़ भी हो सकती है। सिर्फ यही नहीं, इससे कैंसर भी हो सकता है। ज़्यादा चीनी हार्मोन और दिमाग पर विलक्षण फैट जाम होने का प्रभाव पैदा कर सकता है। चूंकि इससे दिमाग में डोपामाइन पैदा होता है, इसलिए व्यक्ति को ज़्यादा मीठा खाने की लत लग सकती है। बच्चों और वयस्कों में मोटापे का कारण चीनी ही बनती है। फैट नहीं, बल्कि चीनी कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाती है और दिल के रोग को पैदा करती है।
 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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