अधूरी नींद से आता है महिलाओं के मूड में बदलाव

जिस प्रकार हमारी जिंदगी में पोषक तत्व और व्यायाम जरूरी हैं, उसी प्रकार नींद भी बहुत महत्व रखती है.

अधूरी नींद से आता है महिलाओं के मूड में बदलाव

नई दिल्ली:

जिस प्रकार हमारी जिंदगी में पोषक तत्व और व्यायाम जरूरी हैं, उसी प्रकार नींद भी बहुत महत्व रखती है। यह एक मीठा बाम है, जो हमें हल्का महसूस करा कर अगले दिन की भाग-दौड़ के लिए फिर से तैयार करती है।

नींद का समय और प्रकार आपके दिमाग और शरीर दोनों पर प्रभाव डालता है। आप रोज़ जितनी देर की नींद लेते हैं, वह आपके दिमाग की तीव्रता, उत्पादकता, भावनात्मक संतुलन, रचनात्मकता और आपके वज़न पर सीधा असर डालती है।

जरनल ऑफ अफेक्टिव डिसऑर्डर में छपे एक नए अध्ययन के अनुसार, 'महिलाओं में नींद पूरी न होने के कारण बाइपोलर विकार के साथ नकारात्मकता देखी गई है। बाइपोलर एक प्रकार की दिमागी बीमारी है, जो कि मूड में अचानक से बदलाव, एनर्जी, कार्यक्षमता पर असर और रोजमर्रा के काम करने की क्षमता पर प्रभाव डालती है।'

 

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कई तरह के मूड से इस स्थिति का पता चलता है, जैसे कई बार कम डिप्रेशन महसूस होना, तो कई बार मिक्स। लोगों में बाइपोलर विकार के साथ नींद की परेशानी सामान्य है और सही से नींद पूरी न हो पाना और बाइपोलर विकार लोगों में चिड़-चिड़ापन पैदा करता है। पेन स्टेट कॉलेज ऑफ मेडिसिन, मनोरोग विभाग की एरिका सॉन्डर्स का कहना है, 'बाइपोलर विकार के मरीज़ अक्सर नींद की समस्या से पीड़ित होते हैं, जबकि उनमें इसके अन्य दूसरे लक्षण सही होते हैं।'

शोधकर्ताओं ने 216 प्रतिभागियों के आंकड़ों का विशलेषण किया। उन्होंने अध्ययन की शुरुआत में अगले दो साल तक नींद की गुणवत्ता का प्रभाव मूड पर देखा और इसे मूड की गंभीरता, दिमागी स्थिति में बदलाव और पागलपन के लक्षण आदि परिणामों पर मापा गया। महिलाओं में नींद पूरी न होने के कारण डिप्रेशन की गंभीरता और दुहराव बढ़ा। साथ ही, पागलपन के लक्षणों में भी तीव्रता और दुहराव देखा गया।

सॉन्डर्स का कहना है, 'सामान्य जनसंख्या के अध्ययन से पता लगा है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के सोने का तरीका काफी अलग होता है। उन्हें विशेष रूप से प्रजननीय सालों में नींद से जुड़ी दूसरी समस्याओं का खतरा होता है।'

 

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इस असामनता को तथ्यों के द्वारा ही समझाया जा सकता है कि बाइपोलर विकार महिलाओं में अलग दिखता है, जबकि यह पुरुषों में अलग होता है। जैसे डॉक्टर महिलाओं में हृदय संबंधी समस्याओं को पहचानने में असफल हो जाते हैं, क्योंकि वह पुरुषों में होने वाले प्रभावों की तरह ही उन्हें देखते हैं। ठीक इसी तरह बाइपोलर विकार के लिए महिलाओं में हमेशा ही मानसिक स्थिति को नहीं देखा जा सकता। डॉक्टरों और मरीजों को यह जानने की जरूरत है कि नींद की गुणवत्ता कितनी जरूरी है।

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अपने शरीर के साथ सिंक बनाएं और अच्छी नींद के लिए प्राकृतिक रूप से जगना और सोना बहुत जरूरी है। रोज के सोने का शेड्यूल बनाएं, रोज़ एक ही समय पर सोना और जगना आपको फुर्तीला और फ्रेश बनाएगा। जिंदगी में अनुकुलता बहुत अहम रोल निभाती है। (इनपुट IANS से)

 

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