महाशिवरात्रि 2022: क्या है महाशिवरात्रि का महत्व और व्रत से जुड़े नियम

Mahashivaratri 2022: बसंत पंचमी, वसंत की शुरुआत का प्रतीक है और सर्दियों के मौसम का अंत करती है. इसके बाद महाशिवरात्रि या 'शिव की महान रात' आती है.

महाशिवरात्रि 2022: क्या है महाशिवरात्रि का महत्व और व्रत से जुड़े नियम

खास बातें

  • महाशिवरात्रि इस साल 1 मार्च की पड़ रही है.
  • महाशिवरात्रि का हिंदुओं के लिए काफी महत्व है.
  • इस दिन मंदिरों को बेहद ही अच्छी तरह से सजाया जाता है.

पूरे देश में वसंत का मौसम शुरू हो गया है. जैसे-जैसे मौसम गर्म होता है और कड़ाके की ठंडी सर्दियां ग्रीष्मकाल की ओर ले जाती हैं, हिंदू कैलेंडर के अनुसार कई त्योहारों की कतार लग जाती है. पहले, बसंत पंचमी, वसंत की शुरुआत का प्रतीक है और सर्दियों के मौसम का अंत करती है. इसके बाद महाशिवरात्रि या 'शिव की महान रात' आती है. महाशिवरात्रि इस साल 1 मार्च की पड़ रही है और भक्तों द्वारा इस पर्व को बहुत के साथ मनाई जाएगी. महाशिवरात्रि का हिंदुओं के लिए काफी महत्व है. देशभर में इस त्योहार को लेकर एक अलग रौनक देखने को मिलती है. इस दिन मंदिरों को बेहद ही अच्छी तरह से सजाया जाता है और भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है. कुछ लोग इस दिन उपवास भी करते है. यहां आपको इस त्योहार के रीति-रिवाजों और महत्व के बारे में बताया गया है.

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महाशिवरात्रि 2022: शिवरात्रि पूजा का दिन और शुभ मुहूर्त

देशभर में मंगलवार, 1 मार्च 2022 को महाशिवरात्रि 2022 मनाई जा जाएगी.

निशिता काल पूजा का समय - 12:08 पूर्वाह्न से 12:58 पूर्वाह्न, 02 मार्च

2 मार्च को शिवरात्रि पारण का समय - 06:45 पूर्वाह्न

रात्रि प्रथम प्रहर पूजा का समय - 06:21 अपराह्न से 09:27 अपराह्न तक

रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा का समय - 09:27 अपराह्न से 12:33 पूर्वाह्न, 02 मार्च

रात्रि तृतीय प्रहर पूजा का समय - 12:33 पूर्वाह्न से 03:39 पूर्वाह्न, 02 मार्च

रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा का समय - 03:39 पूर्वाह्न से 06:45 पूर्वाह्न, 02 मार्च

चतुर्दशी तिथि प्रारंभ - 01 मार्च, 2022 को पूर्वाह्न 03:16

चतुर्दशी तिथि समाप्त - 01:00 पूर्वाह्न 02 मार्च, 2022

महाशिवरात्रि 2022: महत्व, क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि?

महाशिवरात्रि हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन महीने में 13 वें या 14 वें दिन आती है. महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है, इससे जुड़ी कई किंवदंतियां हैं. एक का सुझाव है कि यह उस दिन का प्रतीक है जब भगवान शिव ने देवी पार्वती से विवाह किया था, जबकि दूसरे में कि यह वह रात थी जब शिव ने सृजन, संरक्षण और विनाश का स्वर्गीय नृत्य किया था.

महाशिवरात्रि ध्यान और अध्यात्म की शक्ति पर है. भक्तजन इस भजन और कीर्तन के अलावा शिव के नाम के जाप करते हैं. मंदिरो में 'शिव लिंग' को बेलपत्र से सजाया जाता है. महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को प्रसन्ता करने के लिए दूध, फल और मिठाई का भोग लगाते हैं ताकि उन्हें आशीर्वाद प्राप्त हो सकें.

महाशिवरात्रि 2022: उपवास से जुड़े नियम और व्रत के अनुकूल व्यंजन

महाशिवरात्रि के दिन, कई भक्त भगवान शिव की तपस्या के रूप में उपवास रखते हैं. कुछ लोग अपनी भक्ति के प्रदर्शन के रूप में एक सख्त 'निर्जला' उपवास का पालन करते हैं, पूरे दिन पानी या भोजन से परहेज करते हैं. अन्य लोग 'फलाहार' व्रत का पालन करते हैं जिसमें सिर्फ फल और दूध का सेवन करना शामिल है. इस महाशिवरात्रि व्रत के हिस्से के रूप में बेर, केला, सेब और संतरे जैसे फल खाए जा सकते हैं. हालांकि, ऐसे उपवास सभी के लिए सही नहीं हो सकते हैं, खासतौर वृद्धों के लिए, जो बीमार हैं, या गर्भवती महिलाओं के लिए.

महाशिवरात्रि पर भक्त हल्का सात्त्विक भोजन भी कर सकते हैं. साबूदाना और कुट्टू व्रत के अनुकूल व्यंजनों में उपयोग की जाने वाली लोकप्रिय सामग्री हैं. इसके अलावा दही, दूध और दूध से बने उत्पाद का सेवन कर सकते हैं.

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