कोटा कोचिंग संस्थानों में परोसा जा रहा अस्वस्थ खाना

प्रवेश परीक्षा कोचिंग के लिए प्रसिद्ध कोटा में डेढ़ करोड़ से भी ज़्यादा छात्र विभिन्न केंद्रों से ट्रेनिंग ले रहे हैं.

कोटा कोचिंग संस्थानों में परोसा जा रहा अस्वस्थ खाना

कोटा:

प्रवेश परीक्षा कोचिंग के लिए प्रसिद्ध कोटा में डेढ़ करोड़ से भी ज़्यादा छात्र विभिन्न केंद्रों से ट्रेनिंग ले रहे हैं। इन्हीं स्टूडेंट्स को यहां की कैंटीन अस्वस्थ तरीके से बना अपौषटिक खाना परोस रही है।
जिले के खाद्य और सुरक्षा सेल के अनुसार, “228 मान्यता प्राप्त भोजनायल और फूड सेंटर पर खाने की खराब क्वॉलिटी, कम मात्रा और अस्वस्थ तरीके से पका पाया गया है”।

मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी, डॉ. आर.एन. यादव, कोटा ने बताया कि “इन केंद्रों की प्रतिवर्ष आय 12 लाख से भी ज़्यादा है, और 1800 से 2200 रुपये महीना स्टूडेंट्स से लिया जाता है। इसके अंनर्गत स्टूडेंट्स को एक दिन में दो समय का खाना दिया जाता है”।

 

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अधिकारी के मुताबिक, “उनके विभाग द्वारा इन खाद्य केंद्रों की नियमित अंतराल पर सही से जांच न होना ही खाने की खराब क्वॉलिटी का मुख्य कारण है”। उन्होंने आगे बताते हुए कहा कि “हमारे पास निरीक्षण टीम का गठन करने के लिए स्टाफ की कमी है। हालांकि, विभाग ने जुलाई में एक विशेष अभियान शुरू करने का जिम्मा लिया है, जिसके अन्तर्गत इन भोजनालयों और खाद्य केंद्रों की जांच की जाएगी”। खाद्य सुरक्षा सेल के खाद्य निरीक्षक, गोविंद साहाय गुज्जर ने बताया कि, “लाइसेंस और पंजीकरण देते हुए, उन्हें अच्छी क्वॉलिटी और स्वस्थ तरीके से पका खाना देने को कहा गया था, लेकिन इसके बाद कोई निरीक्षण नहीं किया गया”।

उन्होंने आगे बताते हुए कहा कि, “नियमित निरीक्षण, खाना पकाने की स्थिती और भोजन की गुणवत्ता की जांच की गई है, लेकिन मेन्यू की नहीं”। इन कोचिंग केंद्रों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स की बातें भी निष्कर्षों से मेल खाती हैं। लकी सरासवत, जो कि उत्तर प्रदेश के निवासी हैं ने बताया कि “खाने में चार चपाती (छोटी और मोटी), एक छोटी कटोरी दाल, मौसमी सब्जी और थोड़े से चावल परोसे जाते हैं। वहीं, विशेष डाइट के नाम पर उन्हें नूडल्स, ऑयली स्नैक्स और दूसरे फास्ड-फूड भी हफ्ते में दो बार परोसे जा रहे हैं।”

 

 

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विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, “राजीव गांधी नगर, महावीर नगर, तलवंडी, केशवपुरा क्षेत्र में मौजूद मशहूर कोचिंग केंद्रों में फास्ट-फूड खुले में और अस्वस्थ स्थिती में बेचते हुए पाया गया है”। 

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भोजनालय के मालिकों ने दावा करते हुए कहा है कि, “वह उच्च कोटि का खाना परोसते हैं। छात्रों को घर के खाने का अहसास कराने के लिए वह अपनी तरफ से पूरे प्रयास करते हैं”। निष्कर्षों के अनुसार, “इस दौरान, राज्य में स्टूडेंट्स की ज़्यादा संख्या वाले क्षेत्रों में कई खाद्य केंद्र और भोजनालय बिना लाइसेंस और बिना पंजीकरण के पाए गए हैं”।

 

 

 

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