नई दिल्ली: वैज्ञानिकों नें हाल ही में पुदीने और दालचीनी से एंटी-माइक्रोबीअल ( बीमारी बढ़ाने वाले सूक्ष्मजीवों को खत्म करने में सहायक) यौगिक बनाने का रास्ता ढूंढ निकाला है, जिसे एक छोटे कैप्सूल के रूप में बनाया जाएगा। यह कैप्सूल बैक्टीरिया और पुराने घावों को ठीक करने में मदद करेगा।
बैक्टीरिया के संक्रामक क्षेत्रों को बायोफिल्म कहा जाता है, जो कि पुराने घावों में पैदा होते हैं और चिकित्सीय उपकरणों की वजह से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जिनका इलाज करना कठिन होता है। द जरनल एसीएस नैनो में प्रकाशित खबर के अनुसार, नई सामग्री का इस्तेमाल एक स्थानीय एंटी-बैक्टीरियल (बैक्टीरिया के खिलाफ काम करने वाले) उपचार और कीटाणुनाशक के रूप में किया जा सकता है।
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कई बैक्टीरिया चिपचिपे रूप में एक साथ जुड़ जाते हैं, जिन्हें पारंपरिक एंटी-बायोटिक्स दवाओं से निकालना मुश्किल हो जाता है। डॉक्टर कई बार संक्रामक टिशू को काटने की सलाह देते हैं। हालांकि, यह काफी महंगा पड़ता है, फिर भी कई रोगी इस समस्या से बाहर आने के लिए पूर्ण रूप से यही रास्ता चुनते हैं, क्योंकि यह काफी तेजी से फैलता है।
हाल ही में जरूरी तेल और दूसरे प्राकृतिक यौगिक वैकल्पिक पदार्थ के रूप में उभर कर सामने आए हैं, जो कि रोगजनक बैक्टीरिया (रोग पैदा करने वाले जीवाणु) से छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं। लेकिन शोधकर्ता एंटी-बैक्टीरियल गतिविधीयों को उपचार में बदलने में असमर्थ हैं।
शोधकर्ताओं ने पुदीने का तेल और सिनेमलडेहाइड से एक पैक बनाया है- इसके फ्लेवर और खुशबू के लिए दालचीनी का इस्तेमाल किया गया है- सिलिका नैनोकणों में। इन माइक्रो कैप्सूल का प्रभाव चार तरह के बैक्टीरिया पर पड़ेगा, जिनमें से एक एंटी-बायोटिक प्रतिरोधी तनाव है। साथ ही, यह फाइब्रोबलास्ट की वृद्धि को भी बढ़ावा देता है, एक प्रकार के सेल, जो घाव भरने में मदद करते हैं।