छठे टेस्ट की लिस्ट में शामिल होना चाहिए फैटः अध्ययन

मीठा, खट्टा, नमकीन, कड़वा और उमामी स्वाद के साथ फैट को भी टेस्ट लिस्ट में शामिल होने की जरूरत है.

छठे टेस्ट की लिस्ट में शामिल होना चाहिए फैटः अध्ययन

नई दिल्ली:

मीठा, खट्टा, नमकीन, कड़वा और उमामी स्वाद के साथ फैट को भी टेस्ट लिस्ट में शामिल होने की जरूरत है, क्योंकि यह एक अलग स्वाद उत्पन्न करता है। यह बात अमेरिकी शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन के माध्यम से कही है। स्वाद के छठे टेस्ट का नाम ‘ओलेयोग्सटस' होना चाहिए। लैटिन में इसका मतबल होता है, स्वाद और तेल का कॉम्बिनेशन। यह अध्ययन पुरदुए यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा द जरनल कैमिकल सेंस्ज में प्रकाशित किया गया था।

साइंस एंड न्यूट्रिशंस के प्रोफेसर रिचर्ड का कहना है "फैट के टेस्ट को अक्सर कड़वा और खट्टा के रूप में बताया गया है, क्योंकि यह अरूचिकर है, लेकिन नए सबूतों से पता चला है कि बेसिक टेस्ट की कसौटी पर फैटी एसिड अलग तरह का एक और संतोषजनक तत्व उत्तपन्न करता है।"

 

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अध्ययन में शोधकर्ताओं ने लोगों से फूड को बेसिक टेस्ट के अनुसार आयोजित करने को कहा, तो लोगों ने पाया कि दूसरे स्वाद के मुकाबले फैट का टेस्ट अनूठा और अलग है। रिचर्ड ने बताया कि फैट की ज़्यादा खुराक से वह अरूचिकर और बासी हो सकता है।

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“उसी समय, खाने में फैटी एसिड की कम मात्रा अरूचिकर कड़वे कैमिकल्स की तरह हो सकती है, जो खाने को रूचिकर बनाने में मदद करते हैं, जैसे चॉकलेट, कॉफी और वाइन का टेस्ट इन्हें डालने से बढ़ जाता है।" शोधकर्ताओं का कहना है कि खुद की टेस्ट लिस्ट में अगर फैट को भी शामिल कर लिया जाए, तो खाद्य उद्योग को टेस्ट के लिए बेहतर विकल्प बनाने में मदद मिल सकती है।

 

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