कैसे करें 'सूर्य नमस्कार' से वर्कआउट, तस्वीरों में देखें योगासन के स्टेप

सूर्य नमस्कार की 12 मुद्राओं को ही अगर योग के दौरान कर लिया जाए, तो उससे पूरे शरीर का वर्कआउट हो जाता है. सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar in Hindi) द्वारा सूरज की वंदना और अभिवादन किया जाता है. सूर्य ऊर्जा का स्रोत माना जाता है.

कैसे करें 'सूर्य नमस्कार' से वर्कआउट, तस्वीरों में देखें योगासन के स्टेप

नई दिल्ली:

अनियमित जीवन शैली और व्यस्त दिनचर्या ने लोगों को मोटापे का शिकार बना दिया है. ऐसे में रोज़-रोज़ डाइटिंग करना और खूब वर्कआउट (Workout) करने के बाद भी मोटापा कुछ लोगों की पहचान बनकर रह गया है, जिसके चलते लोगों को डायबिटीज़, हार्ट प्रोब्‍लम और ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में लोग या तो डॉक्टर का रुख करते हैं, या फिर जिम का, लेकिन दोनों जगह ही इनका स्थायी इलाज नहीं है. इसका मतलब यह नहीं है कि मोटापा दूर नहीं किया जा सकता, लेकिन इसके लिए नियमित योगासन और खाने की आदतें सुधारना भी ज़रूरी है. जी हां, योग इन सभी बीमारियों का बेस्ट उपाय है. अक्सर देखा गया है कि हम किसी चीज़ की ओर केवल तभी आकर्षित होते हैं, जब उसका कोई फायदा या लाभ दिखाई देता है. योग का बढ़ता प्रचलन भी इसी बात का संकेत है.

योग एक ऐसी पद्धति है, जिसके लिए न तो ज़्यादा साधनों की ज़रूरत होती है, न ही ज़्यादा पैसे खर्च करने की. बस, आपकी मेहनत और लगन मोटापे और अन्य परेशानियों से आपको दूर कर सकती है. योग के वैसे तो कई तरह के आसन होते हैं, लेकिन सूर्य नमस्कार की 12 मुद्राओं को ही अगर योग के दौरान कर लिया जाए, तो उससे पूरे शरीर का वर्कआउट हो जाता है. सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar in Hindi) द्वारा सूरज की वंदना और अभिवादन किया जाता है. सूर्य ऊर्जा का स्रोत माना जाता है.

सौर जाल (यह नाभि के पीछे स्थित होता है, जो मानव शरीर का केंद्रीय बिंदू होता है) को दूसरे दिमाग के नाम से भी जाना जाता है, जो कि सूर्य से संबंधित होता है. यही मुख्य कारण है कि प्राचीन समय के ऋषि-मुनि सूर्यनमस्कार करने की सलाह देते थे, क्योंकि इसका नियमित अभ्यास सौरजाल को बढ़ाता है, जो रचनात्मकता और सहज-ज्ञान युक्त क्षमताओं को बढ़ाने में सहायक होता है.

ऐसे करें सूर्य नमस्कार - 12 मुद्राएं

स्टेप-1 (प्रणामासन)
अपनी चटाई के किनारे पर खड़े होकर, अपने पैरों को जोड़ लें और दोनों पैरों पर अपने वजन का संतुलन बनाएं. छाती को फैलाएं और अपने कंधों को आराम दें. जब आप श्वास अंदर लें, तो हाथ साइड से ऊपर की ओर उठाएं. वहीं, जब श्वास छोड़ें, तो छाती के सामने दोनों हथेलियों को प्रार्थना मुद्रा में जोड़ लें.

स्टेप-2 (हस्त उत्तानासन)
श्वास अंदर लेकर, हाथ ऊपर उठाकर पीछे की तरफ ले जाएं और भुजाओं को कान के पास ले आएं. इस मुद्रा का उद्देश्य शरीर को एड़ी से लेकर ऊपर हाथों की अंगुलियों तक में खिंचाव लाना है. ज़्यादा लाभ के लिए आप पेट के हिस्से को आगे की ओर ले जा सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि कमर को पीछे मोड़ने की बजाए, आपको अपनी अंगुलियों के साथ ही पीछे की ओर झुकना है.

स्टेप-3 (उत्तानासन)
श्वास बाहर छोड़ें, रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए कमर से आगे की तरफ झुकें. श्वास को पूरी तरह से छोड़ते हुए अपने हाथों को पैरों के पास ले जाएं.


स्टेप-4 (अश्व संचालनासन)
श्वास अंदर लें, अपने सीधे पैर को पीछे की ओर ले जाएं, जितना पीछे ले जाना संभव हो उतना ही लेकर जाएं. सीधे घुटने को जमीन पर रख लें और ऊपर की ओर देखें.

स्टेप-5 (दंडासन)
जैसे ही आप श्वास अंदर ले, अपना उल्टा पैर भी पीछे की ओर ले जाएं. शरीर का पूरा भार पैरों पर डालकर शरीर से एक सीधी लाइन बना लें और हाथों को सीधा रखें.


स्टेप-6 (अष्टांग नमस्कार)
आराम से अपने घुटनों को जमीन से सटाएं और श्वास छोड़ें. हिप्स को थोड़ा पीछे की ओर उठाएं, अपनी छाती और ठोड़ी को जमीन पर आराम दें. अब मुद्रा को थोड़ा ऊपर की ओर उठाएं, दोनों हाथ, दोनों पैर, दोनों घुटने, छाती और ठोड़ी (शरीर के आठ भाग) जमीन को छूने चाहिए, बाकि के शरीर को उठा लें.

स्टेप-7 (भुजंगासन)
छाती को आगे से उठाएं और कोबरा मुद्रा में आ जाएं. इस मुद्रा के लिए कोहनी मोड़ सकते हैं. कंधे कानों से दूर होने चाहिए और ऊपर की ओर देखें. जैसे ही आप श्वास लें, छाती को आराम से आगे करने की कोशिश करें. जब आप श्वास छोड़ें, नाभि को नीचे की और आराम से दबाएं. पैर के अंगूठों को नीचे की ओर दबाएं. ध्यान रहे आप जितना जोर लगा सकते हैं, उतना ही लगाएं.

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स्टेप-8 (पर्वतासन)
श्वास छोड़ते हुए, हिप्स को ऊपर की ओर ले जाएं. छाती को नीचे की ओर ले जाकर उल्टा 'वी' (‘/\') आकार वाली मुद्रा बना लें. अगर संभव हो, तो एड़ी को जमीन पर रखें और हिप्स को आराम से ऊपर उठाने की कोशिश करें.

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स्टेप-9 (अश्व संचालनासन)
श्वास अंदर लें और दोनों हाथों के बीच सीधा पैर आगे की ओर ले आएं. उल्टे घुटने को जमीन से सटा दें. हिप्स को नीचे की ओर दबाएं और ऊपर की तरफ देखें. सीधे पैर को बिल्कुल दो हाथों के बीच में रखें, सीधे पंजे को ज़मीन पर सीधा रखें. इस मुद्रा में आराम से हिप्स नीचे की तरफ दबाने की कोशिश करें और खिंचाव को गहराई तक ले जाएं.

स्टेप-10 (हस्त पंडासन)
श्वास बाहर छोड़ें, उल्टे पैर को आगे की ओर लाएं, हथेलियों को जमीन पर रखें. अगर जरूरत लगे तो आप घुटने मोड़ सकते हैं. अगर संभव हो, तो घुटनों को आराम से खींचे, नाक को घुटने से छूने की कोशिश करें और श्वास लें.

स्टेप-11 (हस्त उत्तानासन)
श्वास लेते हुए, रीढ़ की हड्डी को ऊपर की ओर ले जाएं. हाथ को ऊपर की तरफ ले जाते हुए, पीछे की ओर झुकाएं और हिप्स को थोड़ा बाहर की ओर धकेलें. ध्यान रहे कि आपकी भुजाएं कान के पास होनी चाहिए. पीछे जाने की बजाए, खुद को ऊपर की ओर खीचें.

स्टेप-12 (ताड़ासन)
श्वास छोड़ते हुए शरीर को सीधा करें और हाथों को नीचे की ओर ले जाएं. इस मुद्रा में आराम करें. शरीर में होने वाली हलचल को महसूस करें.

सूर्य नमस्कार के पांच फायदे
1.  श्वास लेने और छोड़ने की लगातार प्रक्रिया के चलते फेफड़े लगातार काम करते रहते हैं और रक्त ऑक्सीजन युक्त रहता है. शरीर को डी-टॉक्स करने के लिए यह एक बेहतरीन प्रक्रिया है. यही नहीं, ज़्यादा कार्बनडाईऑक्साइड और विषैली गैसों से छुटकारा दिलाने में भी मदद करता है.

2. अगर सूर्य नमस्‍कार तेज गति से किया जाए, तो यह एक अच्छा हृदय संबंधी वर्कआउट है, जो पेट की मांसपेशियों को खींचता है. साथ ही, पेट के आस-पास के फैट को कम करने में भी मदद करता है. आसन करने से हाथ और मांसपेशियों तो निखरते ही हैं, साथ ही रीढ़ की हड्डी में भी लचीलापन आता है. इसके अलावा, मांसपेशियों के साथ यह हड्डियों को भी मज़बूत बनाता है.

3. अगर आप मासिक धर्म की अनियमितता से परेशान हैं, तो यह आसन आपको इस परेशानी से निकालने में मदद करेगा और अगर इन्हें रोज़ किया जाए, तो यह आसान प्रसव (चाइल्ड बर्थ) में भी सहायक रहते हैं.

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4. अगर सूर्य नमस्‍कार को रूटीन में शामिल कर लिया जाए, तो यह बढ़ती उम्र में भी आपकी ऊर्जा को बरकार रखने में मदद करता है. इससे शरीर में रक्त प्रवाह सुचारु रूप से चलता रहता है, जिससे चेहरे की खोई चमक वापस आती है, झाइयों की शुरुआत रोकने और आपकी त्वचा को चमकीला बनाने में भी यह कारगार सिद्ध होता है. यही नहीं, यह बालों का गिरना और बालों का सफेद होना जैसी समस्याओं से भी छुटकारा दिलाता है.

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5. सूर्य नमस्कार आपकी याददाश और तंत्रिका-तंत्र को सही रखता है. यही नहीं, यह थायराइड ग्रंथि को भी ठीक रखता है.

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