Types of Tea: ब्लैक, ग्रीन, ऊलौंग और व्हाइट-टी, कौन-सी चाय है सेहत के लिए बेहतर

अक्सर लोग अपने दोस्तों, फैमली और रिश्तेदारों के साथ गर्म चाय की प्याली पर ही गपशप करना पसंद करते हैं.

Types of Tea: ब्लैक, ग्रीन, ऊलौंग और व्हाइट-टी, कौन-सी चाय है सेहत के लिए बेहतर

नई दिल्ली:

देखा गया है कि अक्सर लोग अपने दोस्तों, फैमिली और रिश्तेदारों के साथ गर्म चाय की प्याली पर ही गपशप करना पसंद करते हैं। अभी तक आपने सिर्फ एक ही तरह की चाय पी होगी, लेकिन हम आपके लिए लेकर आए हैं, ऐसी कई तरह की चाय, जिन्हें आप घर में बनाकर मेहमानों को खुश ही नहीं, बल्कि उन्हें चाय के दीवाने भी बना सकते हैं। साथ ही उनके साथ गप्पों का मज़ा दोगुना कर सकते हैं। ब्लैक, ग्रीन, ऊलौंग, व्हाइट और पु-इर्ह (Pu-erh) टी जैसी चाय आप उन्हें बेझिझक सर्व कर सकते हैं। आइए जानते हैं कैसेः

द ब्लैक-टी
दार्जिलिंग, असम, नीलगिरि और श्रीलंका में पाई जाने वाली ब्लैक-टी की पत्तियां या तो गाढ़े भूरे रंग की होती है या फिर काले रंग की। यह शरीर से खराब कोलेस्टेरॉल को कम कर, इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाती है। साथ ही यह स्ट्रेस को कम कर फ्री रेडिकल (शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले मुक्त कण) को बेअसर कर देती है, ताकि वह शरीर को किसी भी तरह का नुकसान न पहुंचा सके।

 

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इस तरह शामिल करें: ब्लैक-टी को सही ढंग से लेने के लिए आप इसमें थोड़ा-सा शहद डाल सकते हैं। इसके अलावा इससे मसाला चाय भी तैयार कर सकते हैं। दूध, अदरक, इलायची और स्वीटनर (आप इसमें अपनी पसंद का मीठा डाल सकते हैं) को एक साथ मिलाकर एक बेहतरीन चाय बनाई जा सकती है।

वहीं क्या आप जानते हैं कि अर्ल ग्रे, एक बहुत ही मशहूर ब्लैक टी होती है, जिसमें बर्गामोट फल का तेल और हल्का नींबू का स्वाद डला होता है। असल में देखा जाए, तो सभी ब्लैक टी एक अच्छा फ्लेवर देती है। ज़रूरत है, तो इन्हें चीनी और नींबू के टेस्ट के साथ लेने की। इसके अलावा इस चाय की पत्ती से आप आइस टी भी बना सकते हैं।

द ग्रीन-टी
अक्सर लोग सुबह उठकर दूध वाली चाय लेना पसंद करते थे, लेकिन अब उनकी च्वाइस ग्रीन-टी बन गई है। यह चाय ऑक्सीडाइज़ नहीं होती, जिसकी वजह से इसका रंग हरा ही रहता है। ग्रीन-टी ख़ासतौर से चाइना और जापान में पैदा होती है। जापान जहां ग्रीन-टी के ऑक्सीडेशन को बनाए रखने के लिए भाप का प्रयोग करता है, वहीं चाइना इस परिणाम को पाने के लिए किल्न-आग (भट्टी में लगी आग) का इस्तेमाल करता है।

सभी लोग जानते हैं कि ग्रीन-टी चरबी को शरीर से कम कर, एक समय के बाद मैटाबॉलिज्म को बढ़ावा देती है। मौजूदा एंटीऑक्सीडेंट का स्वभाव रख लिवर को सुरक्षित रखती है, साथ ही खराब कोलेस्टेरॉल को भी कम करती है।

इस तरह शामिल करेें : इसे बनाने के लिए सिर्फ गर्म पानी की जरूरत है। थोड़ी देर के लिए ग्रीन-टी को गर्मा-गर्म पानी में डालकर रख दें। इसके बाद सर्व करें। कई लोग तो इसमें शहद भी डालना पसंद करते हैं। आजकल बाज़ार में इसके कई नए फ्लेवर मौजूद हैं, जिन्हें आप आसानी से ट्राई कर सकते हैं।

 

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द ऊलौंग-टी
यह चाय हल्की ऑक्सीडाइज़ होती है, जिसका रंग हरे और काले के बीच का होता है। ज़ायके में भी यह बाकी चाय से अलग होती है। यह चाय दिल की बीमारी और कोलेस्टेरॉल पर काबू कर शरीर के लिए काफी अच्छी एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करती है। यह हड्डियों की बनावट को बेहतर कर दंतों को स्वास्थ्य रखने में भी मदद करती है।

ऊलौंग-टी में कैफीन होती है, जो नसों के लिए काफी फायदेमंद होती है। इसके अलावा इसमें पॉलीफिनोल कंपाउंड (शरीर में मौजूद एक तरह का एंटीऑक्सीडेंट) होता है, जो मैटाबॉलिज्म से चरबी को कम कर वज़न घटाने में मदद करता है।

इस तरह शामिल करेः यह चाय ग्रीन-टी की तरह ज़्यादा मात्रा में नहीं ली जा सकती। इसमें मौजूद कैफीन की वजह से आप इसे कम मात्रा में लेना ट्राई कर सकते हैं, जो आपकी सेहत के लिए फायदेमंद हो सकती है। ध्यान रहे ऊलौंग की पत्तियों को उसकी संख्या और बल के अनुसार ही शामिल करने की कोशिश करें।

द व्हाइट-टी
यह एक ऐसी चाय है, जिसकी मांग काफी ज़्यादा है। यह उन छोटी युवा पत्तियों को तोड़कर बनती है, जिसकी कलियां पूरी तरह खिली भी नहीं होती। पत्तियों को सूखाकर इस चाय को बनाया जाता है, जो स्वाद में काफी मधुर और कोमल होती है।

व्हाइट-टी अपनी एंटी-कार्सीनोजेनिक (शरीर से कैंसर जैसी बीमारी को रोकने वाला पदार्थ) विशेषता के लिए मशहूर है। यह चाय ओरल हेल्थ (दांत, जीभ और मसुड़ों) समेत एंटी-एजिंग जैसी समस्याओं को भी ख़त्म करती है। इसके अलावा यह शरीर से प्लाज़मा ग्लूकोज़ लेवल को कम कर इंसुलिन को बढ़ाती है, जो डायबिटीज़ पर काबू रखती है। बाज़ार में यह सबसे महंगी चाय की किस्म है, जो वज़न घटाने में भी मदद करती है।

इस तरह शामिल करें : बिना दूध, चीनी और नींबू डाले आप इसकी पत्तियों को गर्म पानी में डालकर कुछ मिनट के लिए रख सकते हैं।

चाय है भी और नहीं भी
यह चाय की शुद्ध पत्तियां तो नहीं है, लेकिन हां, उसी की तरह जरूर है। द टिज़ेन (The Tisane) (एक प्रकार की हर्बल चाय), जो हर्बल, फल और फूलों से बनी होती है। इस चाय को भी आप मिंट और नींबू का स्वाद देते हुए फूल जैसे गुलाब, लैवेंडर (एक प्रकार का फूल) और कैममाइल डाल सकते हैं। इसके अलावा आप इसमें बीज जैसे इलायची और सौंफ, छाल जैसे दालचीनी, जड़ जैसे अदरक, हल्दी और चिकरी समेत फल जैसे सेब और आड़ू से भी डाल सकते हैं।

 

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कैममाइल, टिज़ेन चाय में एक तरह की किस्म है। यह चाय नसों को शांत कर शरीर को आराम देती है। इसी प्रकार हिबिस्कस-टी होती है, जो काफी लोगों की पसंद है। इसके टार्ट फ्लेवर में आप दूध की जगह थोड़ी-सी चीनी डाल सकते हैं। इसका गाढ़ा लाल रंग उच्चरक्तचाप और ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करता है। साथ ही यह शरीर को रेडिकल से मुक्त कर दिल की बीमारियों और गठिया पर काबू रखती है।

रोयबोस, टिज़ेन की ही एक किस्म है। यह लैग्यूम पौधे (एक प्रकार की फली का पौधा) से बनी होती है। इसमें कैफीन नहीं होती और कई स्वास्थ्य लाभ देती है। यह सिर दर्द, नींद न आने की बीमारी, अस्थमा, कमजोर हड्डियां, उच्चरक्तचाप जैसी बीमारियों को ठीक करती है।

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ठंडे से लेकर गर्म पानी में ली जाने वाली यह सभी तरह की चाय आपको सिर्फ ताज़गी का ही अहसास नहीं, बल्कि स्वास्थ्य संबंधित कई फायदे देगी।

 

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