पसंद है तला-भुना, तो अपनी डाइट में शामिल करें कनोला तेल

इसमें चिकनाई का समाधान करने के कई कीमती स्रोत हैं, जो कि हैं विटामिन-के और विटामिन-ई. विटामिन-ई, अच्छी त्वचा और प्रतिरक्षा प्रणाली के सही ढंग से काम करने के लिए जरूरी होता है.

पसंद है तला-भुना, तो अपनी डाइट में शामिल करें कनोला तेल

नई दिल्ली:

वीकेंड यानी थोड़ी-थोड़ी देर बाद खाने की नई-नई फरमाइशें, और अगर मौसम बारिश का हो, तो सबको चाय की चुस्की के साथ गर्मा-गर्म पकोड़े या फ्राइड मोमोज खाने की तलब लगना है. लेकिन ये ऑयली और मसालेदार खाना आपकी सेहत के लिए परेशानी का सबब बन सकता है. लेकिन अब आपको इन सभी बातों की चिंता करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि सेहत के साथ स्वाद को बढ़ावा देने के लिए आप अपने खाने में कनोला तेल (सफेद सरसों का तेल) जो शामिल कर सकते हैं. तो आइए बताते हैं कि इससे बनी कौन-सी हेल्दी डिश आप डीप फ्राई कर खाने की टेबल पर परोस सकते हैं.

ऐसा बहुत कम होता है, जब हेल्थ एक्सपर्ट खाने में फ्राइड शामिल करने की राय देते हैं. रेस्तरां या स्ट्रीट फूड पर जब लोग तला हुआ खाते हैं, तो उन्हें यह नहीं पता होता कि फ्राइड स्नैक्स किस तेल में बना हुआ है. क्या वह नया तेल है या पुराने तेल को ही दोबारा इस्तेमाल किया गया है. लेकिन आप घर पर फ्राई खाने को बनाने के लिए अपनी पसंद का तेल प्रयोग में ला सकते हैं, जो आपकी सेहत के साथ खाने की सुगंध और स्वाद को भी बनाए रखेगा.


क्या है ये कनोला तेल
कनोला तेल, कनोला पेड़ के बीज से निकाला जाता है. यह ब्रैसिका परिवार समेत पत्तागोभी, फूलगोभी और ब्रॉक्ली का अंश है. यह तेल कनोला पेड़ के बीज को मसलकर निकाला जाता है. जो बाद में शुद्ध और परिवर्तित होकर बोतल में भरकर रखा जाता है. इसका रंग पीला सुनहरा होता है, और स्वाद में मध्यस्थ और गंधहीन होता है. यह तेल तेज आंच को सहन करने वाला होता है, जिसे 242 डिग्री सेल्सियस तक गर्म किया जा सकता है.
 
ऑफिस में बैठे-बैठे भूख लगने पर आप न जाने क्या-क्या खाते रहते हैं. खुद को फिट रखने के लिए अपनी डाइट में सही खाने को चुनना बहुत जरूरी है. आजकल खाने में कनोला तेल का काफी इस्तेमाल किया जा रहा है.

इसके अलावा उच्च पोषक तत्व और तीव्रता से दबाकर निकाले जाने वाले जैतून के तेल को खाने में शामिल करने की भी सलाह दी जा रही है. लेकिन भारत में इसे प्रयोग में लाने की कमी की वजह यह है कि इसका स्मोक प्वाइंट कम है.'
 

अच्छा स्वास्थ्य बनाने के तरीके
कनोला तेल को खाने में शामिल कर खुद के स्वास्थ्य को कैसे सही ढंग से रख सकते हैं, आपको बताते हैं -

1.    अच्छी चिकनाई का साधन - कनोला तेल ख़ासतौर से दो तरह के पॉलिअनसैचूरेटिड फैट से भरा है, ओमेगा-3 और ओमेगा-6... यह दो ऐसे फैट है, जो शरीर में खुद से पैदा न होकर कई शारीरिक कार्यों को करने में मदद करते हैं. साथ ही दिल की बीमारियों को भी दूर रखते हैं.

2.    कोलेस्टेरॉल से लड़ने के योग्य - इसमें सैचूरेटिड फैट कम और मोनोअनसैचूरेटिड फैट ज़्यादा होता है. यह दोनों ही शरीर में एक दूसरे के विरुद्ध काम करते हैं. मतलब सैचूरेटिड फैट ख़राब कोलेस्टरॉल (एल. डी. एल.) के लेवल को बढ़ाता है. वहीं मोनोअनसैचूरेटिड फैटी एसिड इसके विरोध में कार्य करता है. साथ ही यह शरीर के हृदय संबंधी रोगों को भी दूर रखता है. इसमें ट्रांस फैट की मात्रा काफी कम है (300 एम. जी. कोलेस्टेरॉल प्रति दिन से भी कम), जो रोज एक स्वस्थ आहार को लेने के लिए बहुत जरूरी है.

3.    विटामिन से भरा है - इसमें चिकनाई का समाधान करने के कई कीमती स्रोत हैं, जो कि हैं विटामिन-के और विटामिन-ई. विटामिन-ई, अच्छी त्वचा और प्रतिरक्षा प्रणाली के सही ढंग से काम करने के लिए जरूरी होता है. वहीं, विटामिन-के खून को थक्का बनाने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह तेल शरीर के लिए एंटीऑक्सीडेंट की तरह भी काम करता है.

4.    खत्म करता है बैले फैट - खोज से यह भी पता चला है कि कनोला तेल को दो हफ्ते तक रोज अपने खाने में शामिल करने से पेट का मांस 1.6 प्रतिशत कम होता है.

5.    नियंत्रण में रखे ब्लड शुगर - एक प्रकाशित शोध के अनुसार, कनोला तेल लो-ग्लाइसेमिक आहार के लिए अच्छा संकेत है. मोनोअनसैचूरेटिड फैटी एसिड की मात्रा ज़्यादा होने के कारण यह टाइप-2 डायबटीज वालों की ब्लड शुगर को नियंत्रण में रखता है.
 


पेट के साथ दिल भरकर खाएं
जो लोग डाइट में कोलेस्टेरॉल की कमी रखना पसंद करते हैं, वे तंदरुस्त रहने के लिए कनोला तेल इस्तेमाल कर सकते हैं. इसमें सात प्रतिशत सैचूरेटिड फैट होता है, जो जैतून का तेल-15 प्रतिशत, मक्की का तेल-13 प्रतिशत और सूरजमुखी का तेल-12 प्रतिशत से काफी कम है. वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार कनोला तेल का 1.5 बड़ा चम्मच रोज के खाने में शामिल करने से दिल स्वस्थ रहता है.
 
आइए पकाएं, कनोला तेल के साथ
कनोला तेल के बारे में इतना अच्छा जान लेने के बाद सभी के दिमाग में यह प्रश्न आ रहा होगा कि इस तेल को अपने खाने में कैसे इस्तेमाल करें? शेफ सुरजन सिंह जौली, डायरेक्टर फूड एंड बेवरेज, जे. डब्ल्यू. मैरियट बेंगलुरु का कहना है कि 'भारतीय खाने के लिए कनोला तेल सबसे अच्छा तेल है, ख़ासतौर से डीप फ्राई करने के लिए. भारत में खाना बनाने के लिए कई तरह की तीखी और मसालेदार सामग्री इस्तेमाल में लाई जाती है, और कनोला तेल डिश में इन सभी मसालों के स्वाद को जादू की तरह मिलाता है. बनावट के हिसाब से यह काफी हल्का होता है, साथ ही चिपचिपा बिलकुल नहीं होता.'
 
आइए आपको बताते हैं कि इससे आप क्या-क्या डिश बना सकते है -
 



1.  पालक पूरी विद कनोला ऑइल- 5 स्टारशेफ - कुनाल कपूर
छह लोगों के लिए
बनाने में लगने वाला समय - 25 मिनट
सामग्री -
पालक के पत्ते - 200 ग्राम
हरी मिर्च - एक (छोटी)
गेहूं का आटा - 250 ग्राम
नमक - दो छोटे चम्मच
कनोला तेल - एक बड़ा चम्मच (लोई बनाने के लिए)
पानी - 100 मि. ली.
कनोला तेल - 80 मि. ली. (फ्राई करने के लिए)
 
विधि -

सादे ठंडे पानी से पालक को साफ करके अलग रख दें. एक पैन में पानी उबालें. फिर एक दूसरे बरतन में बर्फ जैसा ठंडा पानी तैयार रखें. अब पालक और हरी मिर्च को 10 सेकेंड के लिए गर्म पानी में डालें. निकालकर ठंडे पानी में डालें. फिर इसे निकालकर छन्नी में रख दें, जिससे इसका पानी पूरी तरह निकल जाए. पालक को मिक्सी में डालकर पीस लें. पेस्ट तैयार कर लें. अब आटे को कटोरे में डालकर उसमें नमक, पालक, पानी और एक बड़ा चम्मच कनोला तेल का डालें. अच्छी तरह गूंथ लें. दस मिनट के लिए अलग रख दें. इसके बाद दोबारा गूंथें. एक कढ़ाही में कनोला तेल डालकर गर्म कर लें. गूंथे हुए आटे की गोल-गोल लोई बनाकर हल्का तेल लगाएं और बेल लें. गर्म तेल में डालें. ध्यान रहे कढ़ाही में डालते ही आपकी पूरी फूल जानी चाहिए. जब यह एक तरफ से हल्के भूरे रंग की हो जाए, तो इसे पलट दें. दूसरी तरफ से भी इसे हल्का भूरे रंग का होने दें. फिर इसे निकालकर टिशू पेपर पर रखें. गर्मा-गर्म सर्व करें.
 
नोट - ध्यान रहे पालक के पेस्ट में गांठें नहीं होनी चाहिए, वर्ना आपकी पूरी अच्छी तरह फूलेगी नहीं.
 
2.    अमृतसरी कुल्चा - 4 स्टारशेफ - सुरजन सिंह, कनोला इंफो
20 लोगों के लिए
बनाने में लगने वाला समय - 45 मिनट
सामग्री -
आटा गूंथने के लिए -
मैदा - 1 किलो 200 ग्राम
पानी - 400 मि. ली. (जरूरत पड़ने पर आप और पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं)
नमक - एक चुटकी (वैकल्पिक)
कनोला तेल - 100 मि. ली.
भरावन मिश्रण के लिए -
प्य़ाज - एक कप (कटी हुई)
उबले आलू - आधा किलो (मैश हुए)
धनिया के बीज - दो छोटे चम्मच (भुने हुए, मसले हुए)
अदरक - दो छोटे चम्मच (कटा हुआ)
हरा धनिया - दो-तीन टहनी (कटी हुई)
हरी मिर्च - एक (कटी हुई)
नींबू का रस
अनारदाने के बीज - एक बड़ा चम्मच (मसले हुए)



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विधि -
सबसे पहले हल्के हाथ से मैदे, नमक और पानी को मिलाकर गूंथ लें. एक घंटे के लिए साइड रख दें. भरावन मिश्रण को तैयार करने के लिए कनोला तेल के अलावा सभी सामग्री को एक साथ मिलाएं. अब अपनी उंगलियों और हथेली पर हल्का तेल लगाकर गूंथे हुए आटे की गोल-गोल लोई तैयार करें. हल्का चपटा कर भरावन मिश्रण भरें. बंद करके इसे बेलन की मदद से बेल लें. ध्यान रहे आपको किनारों को हल्का पतला करना है. इसके बाद कुल्चे के किनारों पर कनोला तेल लगाएं. इतने में हल्की आंच पर नॉन-स्टिक पैन को गर्म होने के लिए रख दें. बनाया गया कुल्चा डालें. दोनों तरफ से एक बराबर सेंकें. पुदीने या हरे धनिये की चटनी और दही के साथ परोसें.

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