NDTV Food | Updated: March 11, 2019 12:26 IST
Foods That Reduce Alzheimer's and Dementia Risk: एक खास तरह का खानपान भूलने से संबंधित बीमारियों अल्जाइमर और डिमेंशिया के बढ़ने की रोकथाम में सहायक हो सकता है. एक शोध में यह जानकारी सामने आई है. यह शोध अल्जाइमर्स एडं डिमेंशिया जर्नल में प्रकाशित हुआ है. इसमें एक विशेष तरह के खानपान या‘‘माइंड डाइट'' अथवा मेडिटेरियन-डीएएसएच इंटरवेंशन फॉर न्यूरोडिजेनरेटिव डाइट के पड़ सकने वाले प्रभावों को अध्ययन किया गया है. इस माइंड डाइट में 15 से अधिक खाद्य वस्तुएं शामिल की गई हैं और इनमें से हरी पत्तेदार सब्जियों, अनाज, जैतून का तेल और कम मात्रा में लाल मांस को रखा गया है. ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कहा कि यह माना जाता रहा है कि मेडिटेरियन डाइट में दिल की सेहत और अन्य बीमारियों को ठीक करने वाले गुण होते हैं. इस शोध में 60 साल से अधिक आयु वाले 1220 लोगों को शामिल किया गया और इन पर 12 साल शोध किया गया.
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डिमेंशिया क्या है. डिमेंशिया जिसे मनोभ्रंश भी कहा जाता है असल में किसी एक बीमारी का नाम नहीं, बल्कि के लक्षणों के समूह का नाम है. इनसे दिमाग को नुकसान पहुंच सकता है और क्योंकि हमारे शारीर को हमारा दिमाग ही नियंत्रित करता है, इसलिए डिमेंशिया के चलते इससे पीडि़त व्यक्ति अपने नियमित काम ठीक से नहीं कर पाता. उसकी याददाश्त भी कमज़ोर हो सकती है. वह अक्सर भूल जाता है कि वह किस शहर में रहता है या कौन सा साल या महीना चल रहा है. आमतौर पर डिमेंशिया को बुढ़ापे की बीमारी माना जाता है, लेकिन आजकल गलत खानपान, तनाव और खराब जीवनशैली कब आपको इसका शिकार बना दें, कह नहीं सकते. Why Do I Forget Things? तो क्या आपको भी भूलने की आदत है. और आप इंटरनेट पर लगातार सर्च करते रहते हैं कि कैसे भूलने की आदत को सुधारा जाए और आखिर हम चीजें भूल क्यों जाते हैं (Why do we forget things?) तो यहां आपको जवाब मिल सकता है. ...अगर आप भी अपने भूलने की आदत (Memory Loss) से परेशान हैं तो यह खबर आपके लिए है. इसकी वजह अल्जाइमर (Alzheimer disease) हो सकती है. जी हां, आंकड़ों के हिसाब से भारत में अल्जाइमर का रोग (Alzheimer disease) तेजी से पैर पसार रहा है. अल्जाइमर (Alzheimer's disease in Hindi) भूलने की बीमारी है. बीमारी जब एडवांस स्थिति में पहुंच जाती है, तो मरीज अपने परिजनों और रिश्तेदारों को पहचनना तक बंद कर देता है.
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ज्यादातर लोग अपने जीवन से चिंता और तनाव को दूर करने के तरीके ढूंढ़ते रहते हैं, लेकिन इसी चिंता को दूर करते-करते वह अवसाद और डिमेंशिया का शिकार हो जाते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो के सहायक प्रोफेसर लिंडा माह के अनुसार, "लंबे समय तक चिंता, भय, तनाव की स्थिति में मस्तिष्क की तंत्रिका गतिविधि प्रभावित होती है, जिसकी वजह से मानसिक विकार, अवसाद और अल्जाइमर रोग होने की संभावना रहती है।" मीठे पेय पदार्थ याददाश्त के लिए नुकसानदेह होते हैं. एक शोध में पता चला है कि इस तरह के पेय पदार्थो से स्ट्रोक और डिमेंशिया का खतरा बढ़ जाता है. शोध के निष्कर्षो के अनुसार, मीठे पेय पदार्थो से दिमाग की याददाश्त पर प्रभाव पड़ता है. इन निष्कर्षो को दो पत्रिकाओं में प्रकाशित किया गया है. शोध का प्रकाशन पत्रिका 'अल्जाइमर्स एंड डिमेंशिया' में किया गया है. पत्रिका में कहा गया है कि मीठे पेय पदार्थो का सेवन करने वालों में खराब स्मृति, दिमाग के आयतन में कमी और खास तौर से हिप्पोकैम्पस छोटा होता है. हिपोकैम्पस दिमाग का वह भाग होता है जो सीखने और स्मृति के लिए जिम्मेदार होता है.
'विटामिन डी' के प्राकृतिक स्त्रोतों में से एक मशरूम शरीर के लिए बेहद लाभदायक होता है
'विटामिन डी' के प्राकृतिक स्त्रोतों में से एक मशरूम शरीर के लिए बेहद लाभदायक होता है. हालांकि बहुत से लोग इसे सब्जियों के रूप में इस्तेमाल करते हैं लेकिन यह सब्जियों की श्रेणी में नहीं आता है. यह फंगी ‘कवक' की श्रेणी में आता है. इसमें इतने पोषक तत्व होते हैं कि इसे सुपरफूड फंगी कहा जाने लगा है. इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है. कैंसर रोगियों के लिए भी यह काफी फायदेमंद रहता है. अब एक ताजा रिसर्च ने इसके अन्य लाभों से पर्दा उठाया है. शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि मशरूम खाने से डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी उम्र संबंधी न्यूरोडिजिनेरेटिव बीमारियों से बचा या उनको कुछ समय के लिए टाला जा सकता है. न्यूरोडिजिनेरेटिव शब्द का इस्तेमाल तंत्रिका कोशिकाओं को नुकसान पहुंचने की प्रक्रिया के लिए किया जाता है. शोधकर्ताओं में भारतीय मूल का एक शोधकर्ता भी शामिल है. शोधकर्ताओं का कहना है कि कुछ खाद्य और औषधीय मशरूमों में ऐसे बायोएक्टिव यौगिक होते हैं जो मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाओं की वृद्धि बढ़ा सकते हैं और सूजन जैसी न्यूरोटोक्सिस उत्तेजनाओं से रक्षा करते हैं जो न्यूरोडिजिनेरेटिव बीमारियों का कारण बनती है. मलेशिया में मलाया विश्वविद्यालय से विकिनेश्वर्य सबारत्नम समेत शोधकर्ताओं ने खाने योग्य मशरूम के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले फायदों का विश्लेषण किया. उन्होंने बताया कि शोध के नतीजों से पता चला कि मशरूम उम्र संबंधी न्यूरोडिजिनेरेटिव बीमारियों से बचने या उन्हें कुछ समय के लिए टालने में अहम भूमिका निभाते हैं.
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