जानें नवरात्रि में क्यों खाने ज़रूरी हैं ये 5 फलाहार?

व्रत में पूरा दिन फलाहार खाने के बाद जब रात में भूख लगती है, तो लोग या तो कूटू के आटे की पकौड़ी खाते है या सिंघाड़े के आटे की. असल में यह आटा सूखे पिसे सिंघाड़े से बनता है.

जानें नवरात्रि में क्यों खाने ज़रूरी हैं ये 5 फलाहार?

Navratri 2017:नवरात्रि साल में दो बार आते हैं

नई दिल्ली:

नवरात्रि साल में दो बार आते हैं. एक चैत्र नवरात्रि, जो मार्च से अप्रैल के बीच आते हैं और दूसरे शरद नवरात्रि, जो अक्टूबर से नवंबर के बीच होते हैं. पर क्या कभी आपने सोचा है कि घर में सादे नमक की जगह इन दिनों सेंधा नमक क्यों इस्तेमाल किया जाता है. क्यों इन दिनों लोग गेहूं का आटा नहीं, बल्कि सिर्फ कूटू का आटा या सिंघाड़े का आटा खाना पसंद करते हैं.
 
वैज्ञानिक तथ्य
आयुर्वेद के मुताबिक, मीट, गेहूं, अल्कोहल, प्याज़, लहसुन, अदरक जैसी चीज़ें नकारात्मक ऊर्जा आकर्षित करती हैं. सीज़न के बदलने पर हमारी इम्यूनिटी काफी कम होती है, जिसकी वजह से शरीर को बीमारियां लगती हैं. ऐसे में इन चीज़ों का सेवन करना नुकसानदायक साबित हो सकता है.
 
व्रत करने का मतलब है रोज़ के खाने से खुद की बॉडी पर ब्रेक लगाना. ऐसे में लोग आसानी से पच जाने वाला और पोषक तत्वों से भरा खाना खाते हैं. गेहूं, पाचन क्रिया को धीमा करता है, इसलिए लोग इससे परहेज़ करते हैं. परिवर्तित खाने की जगह फल, सब्जी, जूस और दूध पीना प्रिफर करते हैं. तो आइए आपको रू-ब-रू कराते हैं कि क्यों व्रत के समय इन पांच तरह के आहार को अपने खाने में शामिल करना चाहिए.

सेंधा नमक
देखा गया है कि नवरात्रि के समय लोग खाना बनाने में सादे नमक की जगह सेंधा नमक का इस्तेमाल करते हैं. ऐसा क्यों है? सादा नमक, जिसे सी-सॉल्ट कहते हैं, यह सही मायने में समुद्री नमक होता है. जो कई तरह के कैमिकल टेस्ट से गुजरकर आपके पास आता है. वहीं अगर सेंधा नमक की बात करें, तो यह पहाड़ी नमक होता है, जो हेल्थ के साथ व्रत के खाने में शामिल किए जाने वाला सबसे शुद्ध नमक माना जाता है. यह कम खारा और आयोडीन मुक्त होता है. इसमें सोडियम की मात्रा कम, पोटेशियम और मैग्नीशियम की मात्रा ज़्यादा पाई जाती है, जो कि हार्ट के लिए काफी फायदेमंद होता है.
 
कूटू का आटा
कूटू का आटा एक पौधे के सफेद फूल से निकलने वाले बीज को पीसकर तैयार किया जाता है. आमतौर पर लोग इसे व्रत में खाते हैं, क्योंकि न तो यह अनाज है और न ही वनस्पति. यह एक घास परिवार का सदस्य है. कहते हैं कि इस आटे की तासीर गर्म होती है, जिससे शरीर में कार्बोहाइड्रेट और ग्लूकोज़ का स्तर बढ़ता है. मैक्स हेल्थ केयर की डाइटीशियन डॉ. रितिका समद्दार का कहना है कि कूटू का आटा ग्लूटन फ्री होने के साथ काफी पौष्टिक भी होता है. इसमें फाइबर, प्रोटीन और विटामिन-बी की मात्रा अधिक होती है. इस आटे में आयरन, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस जैसे कई मिनरल्स होते हैं, जो कि व्रत के लिए पौष्टिक आहार माने जाते हैं.
 
सिंघाड़े का आटा
व्रत में पूरा दिन फलाहार खाने के बाद जब रात में भूख लगती है, तो लोग या तो कूटू के आटे की पकौड़ी खाते है या सिंघाड़े के आटे की. असल में यह आटा सूखे पिसे सिंघाड़े से बनता है. इसमें पोटेशियम और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा ज़्यादा और सोडियम और चिकनाई की मात्रा कम होती है. सिंघाड़ा, एक तरह का फल होता है, जिसमें फाइबर, विटामिन्स और मिनरल्स पाए जाते हैं. व्रत के समय में इसे खाने का मतलब है, शरीर के पोषक तत्वों से जुड़ी जरूरतों को पूरा करना.
 

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साबूदाना
इसे हर तरह के व्रत में खाया जा सकता है. साबूदाना एक प्रकार के पौधे से निकाले जाने वाला पदार्थ होता है, जिसमें स्टार्च की मात्रा काफी अधिक होती है. इसमें कार्बोहाइड्रेट और थोड़ा प्रोटीन भी शामिल होता है. साबूदाना शरीर को आवश्यक शक्ति प्रदान करता है. इससे आप साबूदाना खीर, टिक्की या फिर साबूदाना खिचड़ी जैसे कई व्यंजन बना सकते हैं.
 
रामदाना (चौलाई)
यह फलाहार पोषक तत्वों से भरा है. इसमें प्रोटीन और कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है. डॉ. रितिका का कहना है कि व्रत के समय लोग, अनाज की जगह अपने खाने में इसे शामिल कर सकते हैं. इसमें ग्लायसैमिक इंडेक्स कम होता है और यह ग्लूटेन फ्री भी होता है. आप इससे रामदाना चिक्की या लड्डू समेत कई तरह के पकवान बना सकते हैं. कई लोग तो इसे दूध में ऊपर से डालकर खाना पसंद करते हैं.