टाइप-2 डायबिटीज़ से बचना चाहते हैं, तो करें रोज़ एक्सरसाइज़

कहते हैं कि रोज़ एक्सरसाइज़ करना व्यक्ति के लिए अच्छा होता है

टाइप-2 डायबिटीज़ से बचना चाहते हैं, तो करें रोज़ एक्सरसाइज़

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली:

कहते हैं कि रोज़ एक्सरसाइज़ करना व्यक्ति के लिए अच्छा होता है। एक अध्ययन के अनुसार जिनके माता, पिता, रिश्तेदार या छोटे या बड़े भाई-बहन को अगर टाइप-2 डायबिटीज़ है, तो उन्हें इससे बचने के लिए ज़्यादा एक्सरसाइज़ करने की ज़रूरत है।

टाइप-2 डायबिटीज़ जेनेटिक और लाइफस्टाइल दोनों ही चाज़ों से जुड़ी होती है। अगर आपका कोई भी करीबी रिश्तेदार इस बीमारी से जुझ रहा है, तो आपको भी इसके होने का खतरा तीन गुना बढ़ जाता है। इसका उपाय केवल पौष्टिक खाना और रोज़ एक्सरसाइज़ करना है।

 

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इस अध्ययन को साबित करने के लिए लूंड यूनिवर्सिटी, स्वीडन के शोधकर्ताओं ने टाइप-2 डायबिटीज़ से बचने के लिए उन लोगों में एक्सरसाइज़ के प्रभावों का विश्लेषण किया, जो पहले से डायबिटीज़ जैसी बीमारी से पीड़ित थे। इसके चलते शोधकर्ताओं ने 50 अस्वस्थ और थोड़े मोटे पुरुष, जो कि 40 साल के करीब है, उन पर यह अध्ययन किया। इन सभी पुरुषों ने सात महीने तक एक फिटनेस सेंटर में जाकर रोज़ एक्सरसाइज़ की। जिनमें से आधे पुरुष में इस बीमारी के होने का खतरा था और आधे इस बीमारी के नियंत्रण में थे। साथ ही उनके रिश्तेदारों में भी टाइप-2 डायबिटीज़ जैसी बीमारी नहीं थी।

हर हफ्ते इन लोगों को तीन तरह के ट्रेनिंग सेशन दिए गए। इसमें स्पिनिंग क्लास और दो एरोबिक्स क्लास शामिल थीं। इसके चलते शोधकर्ताओं ने उनकी एक्सरसाइज़ करने की तीव्रता और ऊर्जा की खपत पर ध्यान दिया। दोनों ही ग्रुप का एक्सरसाइज़ रुटीन काफी मुश्किल था। इस दौरान बीमारी के होने के खतरे वाला ग्रुप ज़्यादा सेशन में शामिल हुआ। साथ ही इस ग्रुप ने नियंत्रित ग्रुप से ज़्यादा ऊर्जा भी खर्च की। यह सभी चीज़ें करने के बाद देखा गया कि दोनों ही ग्रुप के लोग एक्सरसाइज़ करने से इस बीमारी के खतरे को टाल सकते हैं। इसके अलावा इन सभी का वज़न कम होने के साथ कमर का साइज़ भी घटा था और फिटनेस बढ़ी थी।  

 


 


 


 


 

 

लूंड युनिवर्सिटी की मुख्य शोधकर्ता ओला हैनसन का कहना था कि “टाइप-2 डायबिटीज़ के होने के खतरे वाले ग्रुप को इस बीमारी से बचने के लिए नियंत्रित ग्रुप से ज़्यादा एक्सरसाइज़ करने की ज़रूरत है”।

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यह जांच जर्नल ऑफ अप्लाइड फिज़ियोलॉजी में प्रकाशित हुई है।

 

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