शुरुआत में इस बीमारी के कई लक्षण सामने आते हैं, जो कि आप व्यक्ति के रोज़ के व्यवहार से पता लगा सकते हैं। न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट, मैक्स हॉस्पिटल, नई दिल्ली के डायरेक्टर और हेड जे.डी. मुखर्जी के अनुसार, याददाश्त का कमजोर होना, समय और जगह से भटकाव होना, एक ही सवाल को बार-बार पूछना, आसान गिनती न कर पाना, रिश्तेदारों के नाम भूलना और स्वभाव में बदलाव आना ये सभी अल्जाइमर होने के संकेत हैं।
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अल्जाइमर बीमारी, दिमाग में एमलौइड नामक प्रोटीन के इक्ट्ठा होने से होती है। यह बीमारी बढ़ती उम्र में होती है। मुखर्जी के अनुसार इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। अगर कोई व्यक्ति इस बीमारी से बचना चाहता है, तो वह अपने लाइफस्टाइल में बदलाव लाता रहे। पूरी नींद, दिमागी और प्राकृतिक रूप से सक्रिय रहने, पढ़ते-लिखते रहने और हल्दी लेने से इस बीमारी से बचा जा सकता है।
नाहिद आलम, साइकोथैरेपिस्ट का कहना है कि यह बीमारी कई सालों तक रहती है। कोलकाता बेस्ड न्यूरोलॉजिस्ट, स्वाती शाह का कहना है कि आज के समय में लोग अल्जाइमर जैसी बीमारी के बारे में जागरूक हो चुके हैं। जो कि एक काफी अच्छी चीज़ है। यहां तक कि लोग इस बीमारी के संकेत को भी बेहतर तरीके से पहचानने लगे हैं। फिर भी और बेहतर तरीके से इस बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक करना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि कई बार परिवार वालों को मरीज से कैसे बर्ताव करना है, इसके बार में जानकारी नहीं होती है।
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