सिर व गर्दन के कैंसर के लिए भारत रोबोटिक सर्जरी को तैयार

सिर व गर्दन के कैंसर के लिए भारत रोबोटिक सर्जरी को तैयार

नई दिल्ली:

भारत में सिर तथा गर्दन की पारंपरिक तरीके से सर्जरी करने वाले एक से बढ़कर एक सर्जन हैं। लेकिन आनेवाले समय में देश कुछ ऐसी ही सर्जरीज़ को रोबोट की सहायता से करने के लिए तैयार है। स्टैनफोर्ड कैंसर सेंटर में सिर व गर्दन के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. क्रिस होलसिंगर का कहना है कि साल 2008 से, वह भारत के कुछ ऐसे सिर व गर्दन के कैंसर रोग विशेषज्ञों के साथ संपर्क में हैं, जिनकी सर्जरी वे रोबोट की सहायता से करने के लिए तैयार हैं।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के मुताबिक, देश में प्रत्येक वर्ष सिर व गर्दन के कैंसर के दो लाख से भी अधिक मामले सामने आते हैं। इनमें से तीन चौथाई मामले ओरल कैविटी और गले के कैंसर के होते हैं।

डॉ. होलसिंगर ने बताया कि “ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) नेगेटिव मरीजों के अध्ययन के लिए स्टैनफोर्ड मेडिकल सेंटर, भारत के टॉप हेल्थ प्रोवाइडर जैसे दिल्ली के राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर (अरजीसीआईआरसी) तथा मुंबई के टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के प्रमुख कैंसर रोग विशेषज्ञों के साथ मिलकर काम कर रहा है”।

एचपीवी नेगेटिव वायरस, सिर और गले के कैंसर का सबसे खतरनाक रूप है, जिसका इलाज विकिरण चिकित्सा के मानक दृष्टिकोण व वर्तमान में केमोथेरेपी द्वारा करना कठिन होता है। डॉ. होलसिंगर ने जोर देते हुए कहा कि अमेरिका में इन बीमारियों की संख्या काफी कम है। मेरा मानना है कि भारत में जितने भी सिर और गले के रोबोटिक सर्जन्स हैं, उनकी यह अध्ययन सहायता कर कैंसर से पीढ़ीत मरीजों की स्थिति में यह सुधार करेगा।

जब रेडियोथेरेपी बनाम रोबोटिक सर्जरी की बात आती है, तो वे चिकित्सा के दोनों विकल्पों को एक दूसरे को कॉम्पिटीशन की तरह देखते हैं। उन्होंने कहा कि “अमेरिका में, जब दोनों क्षेत्रों के दृष्टिकोण का इस्तेमाल किया जाता है, तो हमें बेहतर परिणाम देखने को मिलते हैं”। विभिन्न रूपों में तंबाकू का इस्तेमाल (धूम्रपान, पान व गुटखा चबाना) सिर व गर्दन ख़ासकर मुंह के कैंसर का प्रमुख कारण है।

नई दिल्ली में हुई एक वर्कशॉप में पिछले हफ्ते हिस्सा लेने आए होलसिंगर ने कहा कि “तंबाकू व शराब का इस्तेमाल जोखिम को और बढ़ाता है। कई ऐसे जीन हैं, जो सिर व गर्दन के कैंसर से संबंधित हैं। ऐसा कम होता है जब यह बीमारी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाती है”।

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कंप्यूटर की सहायता से (सर्जिकल रोबोट) सिर व गर्दन के कैंसर की सर्जरी में सर्जन को बेहद मदद मिलती है, क्योंकि वे प्रभावित कोशिकाओं को बेहद स्पष्ट तरीके से देख पाते हैं। डॉ. होलसिंगर ने कहा कि “एचपीवी नेगेटिव वायरस के कारण अमेरिका में सिर व गले के कैंसर के रोगियों की तादाद तेजी से बढ़ रही है, साथ ही भारत में भी यही हाल है”।