चरणामृत या पंचामृत 5 चीजों से मिलकर बनाया गया मीठा पेय होता है. यही वजह है कि इसे पंचामृत भी कहा जाता है.
क्या होता है चरणामृत
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जन्माष्टमी पर कृष्ण भक्त निर्जल व्रत रखते हैं. दिनभर भूखे-प्यासे रहने के बाद पूरे विधि-विधान से कान्हा के जन्मोपरांत चरणामृत या पंचामृत से उपवास को तोड़ा जाता है.
जन्माष्टमी पर क्यों है खास
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माना जाता है पंचामृत बाल गोपाल को पसंद है. 'पंच' संस्कृत का शब्द है, जिसका मतलब होता है पांच और अमृत का मतलब है वह पेय, जो मृत्यु से मुक्ति दिलाए.
पंचामृत का महत्व
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माना जाता है कि चरणामृत हमेशा दाएं हाथ से लेना चाहिए. इसे ग्रहण करते हुए मन को शांत रखना चाहिए. इससे चरणामृत अधिक लाभप्रद होता है.
चरणामृत लेने के नियम
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इसे तांबे के बर्तन में रखे जाने का नियम है, जिससे इसमें औषधीय गुण आ जाते हैं. इसमें तुलसी, शहद, मखाने वगैरह होते हैं, जो सेहत के लिए अच्छे हैं.
चरणामृत के गुण
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मुख्य सामग्री
गंगाजल
शहद
तुलसी के पत्ते
दही
दूध
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अन्य सामग्री
घी
मखाने
चिरौंजी
चीनी (पिसी हुई)
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दूध में शहद, तुलसी, गंगाजल को एक ही बर्तन में मिला लिया जाता है. दही का इस्तेमाल अंत में किया जाता है. बस भोग के लिए चरणामृत तैयार हो जाता है.
जानिए, कैसे बनता है पंचामृत
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अब आप चाहें, तो इसमें चीनी, चिरौंजी, मखाने और पिघला हुआ घी डाल लें.