Ganesha Chaturthi 2017: तो इस वजह से पसंद हैं भगवान गणेश को मोदक

Ganesha Chaturthi 2017:मोदक स्टीम और फ्राइड दो तरह के होते हैं जिन्हें चावल के आटे, गेंहू और मैदा, गुड़ और नारियल से बनाया जाता है. मोदक को भगवान गणेश के भोग में काफी अहम माना जाता है जिसे भक्त प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. स्टीम मोदक को उकडिचे मोदक के नाम से भी जाना जाता है.

Ganesha Chaturthi 2017: तो इस वजह से पसंद हैं भगवान गणेश को मोदक

Ganesha Chaturthi 2017:भगवान गणेश को प्रिय हैं मोदक

खास बातें

  • गणेश चतुर्थी का त्योहार नजदीक है.
  • भगवान गणेश के भक्तों ने इस त्योहार की तैयारियां शुरू कर दी हैं.
  • पूरे भारत में यह त्योहार बेहद ही उत्साह के साथ मनाया जाता है.

गणेश चतुर्थी का त्योहार नजदीक है और भगवान गणेश के भक्तों ने अपने हिसाब से इस त्योहार की तैयारियां शुरू कर दी हैं. पूरे भारत में यह त्योहार बेहद ही उत्साह के साथ मनाया जाता है लेकिन महाराष्ट्र, गोवा, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में इस त्योहार की एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है. भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाने वाला यह त्योहार 10 दिनों तक चलता है. गणेश जी के भक्त 10 दिनों के लिए अपने घरों में उनकी मूर्ति की स्थापना करते हैं और 10 दिनों की पूजा के बाद गंगा जी में उनकी मूर्ति का विसर्जन करते हैं. लेकिन इस बार यह पर्व 11 दिनों तक चलेगा. इन दिनों भगवान गणेश भक्त उन्हें हर रोज नए-नए पकवान और मिठाईयों का भोग लगाते हैं. हालांकि भगवान गणेश को मिठाई में मोदक का भोग जरूर लगाया जाता है. हिन्दू पौराणिक कथाओं की माने तो कहा जाता है कि भगवान गणेश को मोदक बहुत पसंद थे और इसी वजह से उन्हें मोदकप्रिय भी कहा जाता है. पूजा के दौरान एक प्लेट में मोदक के 21 टुकड़े रखकर उन्हें भोग लगाए जाने का विधान है. भगवान को भोग लगाने के बाद यह प्रसाद सभी भक्तों में बांटा जाता है.

मोदक स्टीम और फ्राइड दो तरह के होते हैं जिन्हें चावल के आटे, गेंहू और मैदा, गुड़ और नारियल से बनाया जाता है. मोदक को भगवान गणेश के भोग में काफी अहम माना जाता है जिसे भक्त प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. स्टीम मोदक को उकडिचे मोदक के नाम से भी जाना जाता है. तमिल में मोदक को कोजाकट्टी, कन्नड़ में कदूबू और तेलुगू में कुडुमू कहा जाता है.
 

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क्यों चढ़ाए जाते हैं भगवान गणेश को भोग में 21 मोदक

कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव और माता पार्वती के साथ गणेश अनुसूया के घर गए. जो प्राचीन ऋषि अत्रि की पत्नी थीं। भगवान शिव और गणेश जी को इस दौरान काफी भूख लगी थी. अनुसूया ने भगवान शिव को थोड़ा इंतजार करने को कहा और साथ ही यह भी जब तक बाल गणेश की भूख शांत नहीं हो जाती वह उन्हें भोजन नहीं परोस सकती. भगवान शिव ने अपनी भूख को नियंत्रित करते हुए इंतजार किया. अनुसूया ने बाल गणेश को विभिन्न तरह के पकवान परोसे मगर उनकी भूख शांत होने का नाम ही नहीं ले रही थी, यह नजारा देखकर वहां मौजूद सभी लोग काफी हैरान थे.

आखिर में अनुसूया ने सोचा की इस खाने से तो बाल गणेश की भूख शांत नहीं हो रही शायद मीठा खाने से उनका पेट भर जाए. अनुसूया ने भगवान गणेश को मिठाई का एक टुकड़ा दिया जिसको खाने के बाद उन्होंने जोर से एक डकार ली. वो मिठाई खाने के बाद उनकी भूख शांत हो गई. दिलचस्प बात यह थी कि जिस वक्त बाल गणेश ने डकार ली, उसी समय भगवान शिव ने भी न सिर्फ एक बार बल्कि 21 बार डकार ली. जिसके बाद दोनों ने कहा कि अब उनका पेट भर गया है और अब वे दोनों और भोजन नहीं खाना चाहते. बाद में देवी पार्वती ने अनुसूया से उस मिठाई का नाम पूछा जो उन्होंने भगवान गणेश को परोसी थी, तब अनुसूया ने उन्हें मोदक के बारे में बताया.
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उसी वक्त माता पार्वती ने ऐसी इच्छाई जताई की भगवान गणेश के भक्त उन्हें हमेशा 21 मोदक का भोग लगाएंगे. यह कहानी कितनी सही है इस बात का अंदाजा तो हमें नहीं पर इस स्वादिष्ट मिठाई के निर्माण के लिए हम जरूरी आभारी रहेंगे.
 

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