क्या है बसंत पंचमी का महत्व, फूल से लेकर खाने तक की वस्तुओं में क्यों होता है पीला रंग इस्तेमाल

Basant Panchami 2018: बसंत पंचमी को 'सरस्वती पूजा' के रूप में भी मनाया जाता है. इस दिन मां सरस्वती की पूजा करते हैं क्योंकि हाथ में वीणा धारण किए हुए देवी सरस्वती को संगीत और कला की देवी भी माना जाता है.

क्या है बसंत पंचमी का महत्व, फूल से लेकर खाने तक की वस्तुओं में क्यों होता है पीला रंग इस्तेमाल

Basant Panchami 2018: बसंत पंचमी के त्योहार की तैयारियां शुरू हो गई हैं.

खास बातें

  • इस साल बसंत पचंमी का त्योहार 22 जनवरी को मनाया जाएगा.
  • बसंत पंचमी को 'सरस्वती पूजा' के रूप में भी मनाया जाता है.
  • देवी सरस्वती को संगीत और कला की देवी भी माना जाता है.

त्योहारों का मौसम एक बार फिर लौट आया है, लोहड़ी और मकर संक्रांति के बाद बसंत पंचमी के त्योहार की तैयारियां शुरू हो गई हैं. सर्दी के महीनों के बाद वसंत और फसल की शुरूआत होने के रूप बसंत पचंमी का त्योहार मनाया जाता है. इस साल बसंत पचंमी का त्योहार 22 जनवरी को मनाया जाएगा. बसंत पंचमी को 'सरस्वती पूजा' के रूप में भी मनाया जाता है. इस शुभ अवसर पर ज्ञान की देवी का आर्शीवाद पाने के लिए विद्यार्थी और बच्चे उनकी पूजा करते हैं. इतना ही नहीं जो लोग संगीत के क्षेत्र से जुड़े होते हैं वो भी इस दिन मां सरस्वती की पूजा करते हैं क्योंकि हाथ में वीणा धारण किए हुए देवी सरस्वती को संगीत और कला की देवी भी माना जाता है.
 


हिन्दू कैलेंडर के अनुसार बसंत पंचमी हर साल माघ महीने के पांचवे दिन मनाई है और प्रत्येक समुदाय इसे अलग तरीके से मनाता है. बसंत का अर्थ है वसंत और पंचमी का मतलब है पांचवा जिस दिन यह त्योहार मनाया जाता है.

बंगाली लोग इस शुभ दिन को अपने बच्चे के पढ़ने और लिखने के लिए बेहद ही शुभ मानते हैं. छोटे बच्चे बड़ों के देखरेख में देवी सरस्वती की मूर्ति के सामने  बैठकर पहला अक्षर लिखने की शुरूआत करते हैं. विद्यार्थी अपनी किताबें, नोटबुक और पेन देवी सरस्वती की मूर्ति के सामने रखते हैं और सभी भक्तों के बीच मिठाई बांटते हैं. दोपहर के समय में स्वादिष्ट भोग का जैसे खिचड़ी, मिक्स वेजिटेबल और पेयश का आनंद लेते हैं. कई स्कूलों में इस दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है.

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कुछ समुदाय इस दिन मृत लोगों की आत्मा की शांति और सम्मान प्रकट करने के लिए पितृ प्रयाण भी करते हैं. इसके अलावा इस दिन प्रेम के देवता, कामदेव की भी पूजा होती है. पंजाब में लोग इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनते हैं, पतंग उड़ाते है और स्वादिष्ट मीठे चावल बनाते हैं. पीले रंग को वंसत का प्रतीक माना जाता है. कड़ाके की ठंड के बाद लोग पीले रंग के साथ वसंत ऋतु का स्वागत करते हैं - इस मौके पर देवी को पीले फूल और पीली मिठाई का भोग लगाया जाता है. साथ ही इस दिन आमतौर पर लोगों के घरों में केसर हलवा और मीठे चावल बनाएं जाते हैं।
 

यह खूबसूरत त्योहार वसंत की शुरूआत का प्रतीक है. भारतीय संस्कृति में वसंत ऋतु को सभी मौसमों में बड़ा माना जाता है. इस मौसम में न तो चिलचिलाती धूप होती है, न सर्दी और न ही बारीश, वसंत में पेड़-पौधों पर ताजे फल और फूल खिलते हैं. इसलिए हम भी आपको बसंत पंचमी 2018 के त्योहार की ढेर सारी शुभकामनाएं देते हैं.

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