पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का आयुर्वेद के लिए प्रेम

पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम प्राचीन भारतीय चिकित्सा आयुर्वेद सिस्टम को लेकर काफी पैशनेट थे और विश्वभर में इसका आधुनिकीकरण करना चाहते थे.

पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का आयुर्वेद के लिए प्रेम

नई दिल्ली:

पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम प्राचीन भारतीय चिकित्सा आयुर्वेद सिस्टम को लेकर काफी पैशनेट थे और विश्वभर में इसका आधुनिकीकरण करना चाहते थे, यह बात अन्तर्राष्ट्रीय एनजीओ के प्रमुख द्वारा बताई गई है। भारत, ब्रिटेन और स्वीज़रलैंड में अन्तर्राष्ट्रीय आयुर्वेद फाउंडेशन (आईएएफ) के प्रमुख, प्रफुल पटेल, जब नवंबर 2005 में डॉ. कलाम से मिले थे, तो उन्होंने आयुर्वेद के लिए उनके प्यार के बारे में जाना था।

पटेल ने बताया कि, “ हमने कई चुनौतियों पर डॉ. कलाम से चर्चा की कि भारत और विदेशों में आयुर्वेद को लेकर किन चीजों का सामना करना पड़ रहा था और इस परउनकी सलाह मांगी। उन्होंने हर्बल और नॉन हर्बल आयुर्वेद रिसर्च और विकास सेंटर की स्थापना करने पर जोर दिया। साथ ही, उन्होंने सलाह दी कि केंद्र को आयुर्वेद और पारंपरिक औषधीय उत्पाद की गुणवत्ता, सुरक्षा, स्थिरता और प्रभाव आदि की आसान टेस्टिंग और प्रमाणपत्र देना चाहिए।”

 

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पटेल ने आगे बताते हुए कहा कि आईएएफ ने आयुर्वेद रिसर्च और विकास सेंटर के लिए प्रोजेट तैयार किया है, जो कि पश्चिमी दवाओं की तर्ज पर होगा। डॉ. कलाम भी औषधीय पौधों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए उत्सुक थे, जिसमें विश्व 68 बिलियन डॉलर का उत्पादन किया और इसमें भारतीय हिस्सेदारी मुश्किल से आधे बिलियन डॉलर थी और इसमें चीन इस देश से काफी आगे खड़ा है।

“डॉ.कलाम ने जोर देकर कहा कि भारत के पास दक्षिण, पूर्वी राज्यों और हिमालय में विशाल जमीन है, जो कि बड़े पैमाने पर औषधी उत्पादन के लिए इस्तेमाल की जा सकता है।” पटेल ने बताया।

पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम ने कहा कि अगर कोई भी बड़ी कंपनी इसके लिए भारत में कहीं भी इंवेसट करती है, तो वह स्थानीय किसानों को इनमें शामिल करने के लिए प्रेरित करेंगे- औषधीय पौधे सीधे किसानों से खरीदें- गुजरात में अमूल डेयरी की तर्ज की तरह।

 

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आईएएफ ने आर एंड डी सेंटर (रिसर्च एंड डेवलममेंट सेंटर) प्रोजेक्ट की रिर्पोट पहले से ही तैयार कर ली है और वह एक संघ बनने का इंतजार कर रहा है, जो डॉ. कलाम के दोनों प्रोजेक्ट को ले सके। उन्होंने बताया।

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डॉ. कलाम ने आधात्मिक नेता श्री प्रमुख स्वामी महाराज पर एक किताब लिखी थी, “ट्रेंसेंडंस”- शायद उनका अखिरी काम, जो कि हाल ही में उनकी मौजूदगी में 20 जूल को गुजरात में लान्च की गई थी। वह 27 जुलाई 2015 को एक हार्ट अटैक की वजह से चल बसे, जब वह शिलांग में आईआईएम के स्टूडेंट्स को लेक्चर दे रहे थे।

 

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