स्मार्टफोन के इस्तेमाल से पता चल सकेगी डिप्रेशन की समस्या

शोधकर्ताओं का कहना है कि डिप्रेशन आपके स्मार्टफोन के सेंसर डाटा पर बिताए गए मिनट और भूगोल संबंधित स्थान से पता लगाया जा सकता है.

स्मार्टफोन के इस्तेमाल से पता चल सकेगी डिप्रेशन की समस्या

नई दिल्ली:

आप चाहें घर पर हों या बाहर हर समय फोन में व्यस्त रहते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिनता समय आप अपने स्मार्टफोन के साथ बिताते हैं, उतना ही आप डिप्रेशन का शिकार होते हैं, ऐसा हम नहीं बल्कि एक अध्ययन का कहना है।

वहीं शोधकर्ताओं का कहना है कि डिप्रेशन आपके स्मार्टफोन के सेंसर डाटा पर बिताए गए मिनट और भूगोल संबंधित स्थान से पता लगाया जा सकता है। नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के अनुसार जिस व्यक्ति को डिप्रेशन की समस्या है, वह कम से कम 68 मिनट तक अपने फोन का इस्तेमाल करता है। वहीं, जिसे इस प्रकार की कोई समस्या नहीं है, वह लगभग 17 मिनट के लिए फोन का इस्तेमाल करता है।

घर पर बिताए गए समय, रोज़ाना के कार्य का नियम, घर से निकलना और कार्य करने की जगह पर रोज़ अलग-अलग वक़्त पर पहुंचना भी डिप्रेशन की बीमारी से जुड़ा है।

 

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नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी फीनबर्ग स्कूल ऑफ मेडिसिन के वरिष्ठ अध्ययन लेखक देविड मौहर का कहना था कि “लोगों से बिना कोई सवाल पूछे उनके फोन के सेंसर और जीपीएस डाटा से भी डिप्रेशन जैसी समस्या का पता लगाया जा सकता है।" जर्नल ऑफ मेडिकल इंटरनेट रिसर्च में प्रकाशित पेपर के अनुसार फोन के सेंसर डाटा से वैज्ञानिक बहुत ही आसानी से 87 प्रतिशत तक डिप्रेशन के लक्षण का पता लगा सकता है।

जब इंसान डिप्रेशन जैसी समस्या से पीड़ित होता है, तो उसके अंदर बाहर जाकर कुछ करने की हिम्मत नहीं रहती। 'इंसान को परेशान कर रही चीज़ें, दर्दनाक अहसास और कठिन संबंध जैसी सभी चीज़ों से दूर रहने के लिए लोग फोन पर रहना पसंद करते हैं। डिप्रेशन के दौरान यह एक तरह का अनदेखा व्यवहार माना गया है।' 28 लोगों द्वारा किए गए फोन का इस्तेमाल और जीपीएस स्थिति से टीम ने दो हफ्तों तक जांच की। हर पांच मिनट में जीपीएस स्थिति के सेंसर को ट्रैक किया गया है। इस शोध के चलते पता लगाया गया कि इंसान के अंदर डिप्रेशन और स्वास्थ्य संबंधित शक्ति कितनी तेज़ी से काम करती है।

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लेखक का कहना था कि “अगर व्यक्ति को नई जगह जाने और समय बिताने के लिए कहा जाए या फिर उसके नियम या व्यवहार में बदलाव लाने के साथ फोन के इस्तेमाल को कम करने के लिए कहा जाए, तो डिप्रेशन के आसार को कम किया जा सकता है”।

 

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