50 Girls 50 Chef: चैरिटी जो करती है आम बच्चों के लिए काम

द क्रिएटिव सर्विस सपोर्ट ग्रुप एक चैरिटी है, साधारण बच्चों को सपोर्ट कर, उनका भविष्य भी बनाती है.

50 Girls 50 Chef: चैरिटी जो करती है आम बच्चों के लिए काम

नई दिल्ली:

एक पूरी तरह से सुसज्जित रसोई, 50 टैलंटिड लड़कियां और आठ मिशेलिन-स्टार्ड शेफ। ओवन में बेक की गई फ्रेश ब्रेड की खुशबू, चटकती डिश की आवाज़ और गार्निश करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली हर्ब। फ्रेश प्राकृतिक सामग्री को तीखे-तेज़ फ्लेवर के साथ शानदार व्यंजनों में बदलना, जो अपना टेस्ट खुद बयां कर रही थीं।
 नई दिल्ली के ले-सर्क में एक अच्छे काम के लिए यह समारोह आयोजित किया गया था। मुझे हमेश अच्छा लगता है, जब मैं किसी अभियान में रेस्तरां को भाग लेते देखती हूं। द क्रिएटिव सर्विस सपोर्ट ग्रुप (सीएसएसजी) एक चैरिटी है, जो कि न सिर्फ साधारण बच्चों को सपोर्ट करती है, बल्कि उनका भविष्य भी बनाती है। उनका उद्देश्य बच्चों की राह में आने वाली रुकावटों को दूर कर, उन्हें समान अवसर के लिए सक्षम बनाना है।

 

 

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एक स्वतंत्र अध्ययन के आधार पर, संस्था ने पाया कि लगभग सभी एनजीओ में से सिर्फ 10 प्रतिशत ही शिक्षा के आधार पर सफेद कॉलर वाली जॉब का प्रबंध कर पाते हैं, 40 प्रतिशत लेबर जॉब देते हैं, वहीं 50 प्रतिशत स्किल की कमी के कारण बेरोजगार रह जाते हैं। चार साल पहले शुरू की गई इस पहल में सीएसएसजी ने रचनात्मक प्रतिभा वाले युवाओं की सहायता करने का जिम्मा उठाया। संस्था उन्हें अवसर, निर्देश और सपोर्ट के जरिए उनकी मदद कर रही है। जब बच्चा 18 साल का युवा हो जाता है, तो कई चैरिटी अपनी सपोर्ट वापस ले लेती हैं। ऐसे में सीएसएसजी उन्हें भरोसा दिलाती है कि वे अपने अच्छे भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। इन्होंने 2015 को महिलाओं के लिए समर्पित किया है और उन साधारण लड़कियों को पढ़ाई और ट्रेनिंग के जरिए सम्पन्न शेफ बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
 सीएसएसजी के प्रेसिडेंट आनंद कपूर ने बताया कि,“हमने पायलट के रूप में 40 लड़कियों के साथ इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की है। आज हमारे पास 50 लड़कियां है, जो कि ट्रैनिंग पर हैं और 200 लड़कियां अभी वेटिंग लिस्ट में शामिल हैं। लड़कियों की आकांक्षाओं को देखकर बहुत अच्छा लग रहा है- वह अपनी इस जिंदगी से बाहर आना चाहती हैं और एक मजबूत भविष्य की ओर रूख करना चाहती हैं। ”    
आंकड़े गंभीर हैं। हमारी जनसंख्या का एक तिहाई हिस्सा में बच्चे शामिल हैं, लेकिन कई मामलों में, ख़ासतौर से गरीबी रेखा से नीचे वाले लोगों के हितों को कभी प्राथमिकता नहीं दी जाती या फिर उन्हें आगे बढ़ने के लिए साधन नहीं दिए जाते। भारत के स्कूलों में लड़कियों की संख्या सबसे कम है। सामाजिक अवधारणा है कि लड़कों को घर चलाने के लिए पढ़ाया जाता है, वहीं लड़कियां मुख्य रूप से घर के दूसरे कामों में शामिल रहती हैं। इसी वजह से, लड़कियों को बेहतर होम कूक माना जाता है, लेकिन इस पुरुष प्रधान इंडस्ट्री में बहुत कम लड़कियां ही इसे करियर के रूप में आगे ले जा पाती हैं।
 अपनी बात को आगे बताते हुए आनंद ने बताया कि,“मुझे लगता है कि युवा महिलाओं को यह दिखाना जरूरी है कि समाज में पारंपरिक भूमिका के अलावा उनके लिए कई अवसर हैं और आवश्यक दिशा-निर्देशों के साथ उन्हें मिलते हैं। हमें उनके लिए रास्ता बनाने की जरूरत है, जो उनके रहन-सहन के साथ उनके आस-पास के लोगों में भी बदलाव लेकर आएगा।” आखिरकार, किसी भी देश का विकास पढ़े-लिखे और कुशल कर्मचारियों पर निर्भर करता है।
 इस कार्यक्रम के दौरान लड़कियों को विश्वभर के फूड विशेषज्ञों से काफी कुछ जानने का मौका मिला- इन विशेषज्ञों में से अनिता लो, कैरी नहबेडियन, फ्रांसिस एटकिंस, लिस़ा एलेन और सोंजा फ्रहस़म्मर आदि नाम शामिल हैं। शेफ अना रोज़ यूरोप में युवा रेस्ट्रटर संस्था की सदस्य हैं, और वह इस इवेंट के लिए स्लोवेनिया से यहां पहुंची। इस मौके पर उन्होंने बता कि,“हमने अपने दिन की शुरुआत एक जैविक फार्म पर जाकर की, जहां हमने यह जानने की कोशिश की कि सामग्री कहां से आ रही हैं, लड़कियों को कृषि तकनीक की जानकारी दी गई और अच्छी क्वॉलिटी के लिए क्या करना चाहिए आदि के बारे में बताया गया। हमने कुछ इटैल्यन डिश बनाने की सोची और मैंने अपनी रोज़ की लाइफ का एक छोटा-सा हिस्सा इनके साथ शेयर किया।” 

 

 

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इस मौके पर शेफ सब्यसाची गोरई ने कहा कि,“मुझे इस कार्य से काफी जुड़ा हुआ महसूस हो रहा है क्योंकि यह उस प्रोफेशन से जुड़ा हुआ है, जिसने मुझे बहुत कुछ दिया है। मैं सोचता हूं क्यों न लोगों को भी इस बारे में सीखा के उन्हें अपने इस परिवार का एक हिस्सा बना लूं। हमने पांच लड़कियों को चुना है। उन्हें सलाह दी जाएगी, आगे बढ़मने का रास्ता दिखाते हुए, आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। कार्यक्रम के दौरान एक शेफ ने काफी अर्थपूर्ण विचार पेश किए कि हमें इन्हें ऐसा कोई काम नहीं देना चाहिए, जिसकी यह वैल्यू न समझें। इसलिए हम इनकी ट्रैनिंग पर फोकस करेंगे और इन्हें किचन की नीति को समझने लायक बनाएंगे।”
 
यह एक अभियान है, जो कि योग्यता और क्षमता का प्रकाश फैलाता है।

 

 

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