खास बातें
- यह प्रोटीन से भरपूर होता है और जिन्हें गेहूं से एलर्जी हो.
- सेलियक रोग से पीड़ितों को भी इसे खाने की सलाह दी जाती है.
- कुट्टू से बनी पूरियां ज्यादा कुरकुरी होती हैं.
Buckwheat Nutrition: हिंदू धर्म में कुट्टू का आटा अपना अलग ही महत्व रखता है. इसे व्रत के दौरान लिया जाता है. क्योंकि हिंदू धर्म में व्रत और उपवास के दौरान अन्न या अनाज नहीं खाया जाता. और क्योंकि कुट्टू का आटा अनाज नहीं, बल्कि फल से बनता है और अनाज का बेहतर विकल्प होने के साथ पौष्टिक तत्वों भरपूर भी होता है. इतना ही नहीं कुट्टू का आटा सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है(Health Benefits Of Kuttu Ka Atta). यह प्रोटीन से भरपूर होता है और जिन्हें गेहूं से एलर्जी हो, उनके लिए बेहतरीन विकल्प है.
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क्या है खूबियां- Health Benefits Of Kuttu Ka Atta in Hindi
इसमें मैग्नीशियम, विटामिन-बी, आयरन, कैल्शियम, फॉलेट, जिंक, कॉपर, मैग्नीज और फासफोरस भरपूर मात्रा में होता है. इसमें फाइटोन्यूट्रिएंट रूटीन भी होता है जो कोलेस्ट्रोल और ब्लड प्रेशर को कम करता है. सेलियक रोग से पीड़ितों को भी इसे खाने की सलाह दी जाती है. (Read- Improve Sex Life: सेक्स पावर बढ़ाएंगे ये 10 फूड, आज ही करें ट्राई...)
Diabetes Tips
कुट्टू का आटा खाते समय रखें ध्यान - Be careful with flour Kuttu
- चूंकि कुट्टू के आटे को चबाना आसान नहीं होता, इसलिए इसे छह घंटे पहले भिगो कर रखा जाता है, फिर इन्हें नर्म बनाने के लिए पकाया जाता है, ताकि आसानी से पच सके. चूंकि इसमे ग्लूटन नहीं होता इसलिए इसे बांधने के लिए आलू का प्रयोग किया जाता है.
- कुट्टू के आटे की पूरियां बनाने के लिए हाईड्रोजेनरेट तेल या वनस्पति का प्रयोग न करें, क्योंकि यह इसके मेडिकल तत्वों को खत्म कर देता है.
- कुट्टू से बनी पूरियां ज्यादा कुरकुरी होती हैं.
- पूरी और पकोड़े तलने की बजाय इससे बनी रोटी खाएं.
- आप चाहें तो कुट्टू के आटे से इडली भी बन सकते हैं.
सेहत को देता है कई फायदे- (Kuttu ke aate ke fayde)
* कुट्टू 75 फीसदी जटिल काबोहाइड्रेट है और 25 फीसदी हाई क्वालिटी प्रोटीन, वजन कम करने में यह बेहतरीन मदद करता है. इसमें अल्फा लाइनोलेनिक एसिड होता है, जो एचडीएल कोलेस्ट्रोल को बढ़ाता है और एलडीएल को कम करता है.
*कुट्टू के आटे में मिलावट की जा सकती है और इसे विश्वसनीय स्रोत से ही खरीदना चाहिए. पिछले साल का बचा हुआ आटा भी प्रयोग नहीं करना चाहिए, इससे फूड-प्वॉयजनिंग हो सकती है.
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* यह अघुलनशील फायबर का अच्छा स्रोत है और गॉलब्लैडर में पत्थरी होने से बचाता है. अमेरिकन जरनल ऑफ गेस्ट्रोएनट्रोलॉजी के मुताबिक, 5 फिसदी ज्यादा घुलनशील फायबर लेने से गाल ब्लैडर की पत्थरी होने का खतरा 10 फीसदी कम हो जाता है.
* फाइबर से भरपूर और ग्लिसेमिक इंडेक्स कम होने से यह डायब्टीज वालों के लिए बेहतर विकल्प है. कुट्टू के आटे का ग्लिसेमिक इंडेक्स 47 होता है.
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